भेदिया कारोबार के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच के दायरे में आई कंपनी अलेग्रो कैपिटल का नाम ऑफशोर इकाइयों की वैश्विक जांच 'पेंडोरा पेपर्स' में आया है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के निदेशक कुणाल अशोक कश्यप का संबंध जॉन मैककलम मार्शल शॉ (बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ के पति) के स्वामित्व वाली अन्य इकाई द्वारा स्थापित डीनस्टोन ट्रस्ट से भी है। यहां हम आपको इस विवादास्पद रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं:सेबी ने क्या आदेश जारी किया था? सेबी ने भेदिया कारोबार को लेकर अलेग्रो कैपिटल की जांच की थी। शेयर बाजार नियामक ने कंपनी और उसके निदेशक तथा मुख्य शेयरधारक कुणाल अशोक कश्यप से अपने 8 जुलाई के आदेश में 24,68,751 रुपये चुकाने और अतिरिक्त जुर्माना चुकाने को कहा था।अब यह सुर्खियों में क्यों है? बाद में कुणाल कश्यप का नाम ऑफशोर इकाइयों की वैश्विक जांच से संबंधित 'पेंडोरा पेपर्स' में आया था। इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को पेंडोरा पेपर्स पर आधारित कई जांच रिपोर्टों को प्रकाशित किया है। ऐसी पिछली जांचों से भी कर चोरी के लिए सरकारी सख्ती को बढ़ावा मिला।बायोकॉन का सेबी के आदेश से संबंध? कश्यप के खिलाफ सेबी के आदेश का बायोकॉन से भी संबंध था। यह सैंडूज के साथ बायोकॉन की वैश्विक भागीदारी के बारे में हुई वर्ष 2018 की घोषणा से संबंधित था। उस घोषणा के एक दिन बाद कंपनी का शेयर 5.6 प्रतिशत चढ़ गया था। सेबी के आदेश में कहा गया कि बायोकॉन अन्य कंपनी सीआईएमएबी और साथ ही सैंडूज के साथ बातचीत कर रही थी। सीआईएमएबी के साथ मोलभाव करने की पूरी जिम्मेदारी कश्यप पर थी। सेबी के आदेश में कहा गया कि उनसे सैंडूज भागीदारी की जानकारी होने की जानकारी होने की आशंका जताई जा सकती है और यह भेदिया की परिभाषा के दायरे में आएगा। सेबी के आदेश में कहा गया, 'भले ही, नोटिस पाने वाले दीर्घावधि में बायोकॉन के शेयर को लेकर उत्साहित थे, लेकिन यूपीएसआई (गैर प्रकाशित कीमत संवेदी जानकारी) अवधि के दौरान उनके द्वारा दिखाए गए कारोबार में अचानक तेजी को उनके द्वारा उचित करार नहीं दिया गया है। नोटिस पाने वाले लोग बायोकॉन को लेकर उत्साहित हो सकते थे, लेकिन यूपीएसआई की वजह से बायोकॉन के शेयर में उनकी खरीदारी अग्रिम थी, क्योंकि वे घोषणा प्रकाशित होने के बाद कीमतों में तेजी शुरू होने से पहले इसे खरीद लेना चाहते थे। इस वजह से, दीर्घावधि तेजी के नजरिये के बावजूद इस खरीदारी का कारण यूपीएसआई पर आधारित था।'नियामक सेबी ने क्या कदम उठाया? उसने कश्यप और अलेग्रो कैपिटल को एक साल के लिए बाजार से प्रतिबंधित किया। उपरोक्त भुगतान राशि के अलावा, उन पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।उसके बाद क्या हुआ? प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने अगस्त में आदेश पर रोक लगा दी, मामला अभी भी लंबित है।बायोकॉन अध्यक्ष से क्या प्रतिक्रिया आई थी? बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ ने किसी तरह की गलती होने से इनकार किया है। ट्विटर पर उनके बयान में कहा गया है, 'पेंडोरा पेपर्स पर रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया ने मेरे पति के ऑफशोर ट्रस्ट को गलत तरीके से पेश किया है। यह ट्रस्ट कानूनी है और स्वतंत्र ट्रस्टियों द्वारा प्रबंधित है।'
