खास तौर से तेल रिफाइनिंग व विपणन कंपनियों भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों ने मंगलवार को कमजोर बाजार में बढ़त दर्ज की। मंगलवार को निफ्टी में करीब एक फीसदी की गिरावट आई लेकिन बाद में उसने कुछ नुकसान की भरपाई कर ली और अंत में 0.6 फीसदी गिरकर बंद हुआ, वहीं निफ्टी सीपीएसई इंडेक्स में 3.24 फीसदी की उछाल दर्ज हुई। इस इंडेक्स के जरिये एनएसई पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रदर्शन की माप होती है। पीएसयू शेयरों में तेजी बीपीसीएल की सोमवार को हुई सालाना आम बैठक में कंपनी के चेयरमैन अरुण कुमार के उस बयान के बाद देखने को मिली, जिसमें उन्होंंने कहा था कि सरकार का इरादा मार्च 2022 तक विनिवेश प्रक्रिया पूरी करने का है। आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, विनिवेश के अलावा पीएसयू के मामले में कई अन्य संकेत एक साथ काम कर रहे हैंं और हम पूरे क्षेत्र को उसी नजरिये से नहीं देख सकते हैं। उनके मुताबिक, पीएसयू कंपनियों का कारोबारी परिदृश्य सुधर रहा है। उन्होंने कहा, कोयले की कमी है, जिससे कोल इंडिया का शेयर चढ़ रहा है। इसी तरह आईआरसीटीसी अर्थव्यवस्था के खुलने के चलते बेहतर काम कर रही है, साथ ही शेयर विभाजन की भी उसकी योजना है। इसके अलावा गैस की मजबूत कीमतें भी गैस उत्पादकों के लिए अच्छा साबित हो रहा है। कई सरकारी केमिकल कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं क्योंंकि केमिकल की कीमतें बढ़ रही हैं। बीपीसीएल ने अब ऐसा क्या नया कहा है। यह काफी समय से हो रहा है। हालांकि सरकार को अब इस योजना का क्रियान्वयन करना चाहिए। बीपीसीएल के अलावा सरकार का इरादा वित्त वर्ष 22 में दो सार्वजनिक बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण का भी है और इस प्रक्रिया में सरकार का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का है। इसके अलावा सरकार ने इस वित्त वर्ष में भारतीय जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी आईपीओ के जरिये बेचने का प्रस्ताव रखा है, जिस पर काम चल रहा है। पिछले 10 वर्षों में पीएसयू शेयरों ने कुछ जमीन हासिल की है, लेकिन एक्सचेंजों पर ज्यादातर ये पिछड़ी ही रहीं हैं। एसऐंडपी बीएसई पीएसयू इंडेक्स पिछले 10 साल में महज 7 फीसदी चढ़ा है जबकि एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में 253 फीसदी, एसऐंडपी बीएसई मिडकैप में 304 फीसदी और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 298 फीसदी की उछाल आई है। यह जानकारी ऐस इक्विटी के आंकड़ोंं से मिली। आंकड़े बताते हैंंकि इस अवधि में सूचना प्रौद्योगिकी, कंज्यूमर ड्यूरेबल, हेल्थकेयर, बैक और एफएमसीजी सूचकांकों ने बीएसई पर 288 फीसदी से लेकर 580 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की है। विश्लेषकों ने कहा, सरकारी नियंत्रित कंपनियों की हिस्सेदारी बेचना मुश्किल भरा काम होगा क्योंकि इससे कई चीजें जुड़ी हैं। इसे टालकर दूसरी छमाही में ले जाना राजकोषीय स्थिति के लिए भी जोखिम भरा है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, निवेशकोंं ने मध्यम से लंबी अवधि के लिए इन शेयरों को जोडऩा शुरू कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों से कई शेयर काफी पिटे हुए थे। कारोबारी परिदृश्य में सुधार और विनिवेश की उम्मीद इन शेयरों में कुछ समय और तेजी बनाए रखेगा।
