पहले संशोधित तिमाही रोजगार सर्वे (क्यूईएस) से पता चलता है कि 25 मार्च से 30 जून, 2020 के दौरान कोविड-19 की पहली लहर के कारण की गई देशबंदी में 9 संगठित गैर कृषि क्षेत्रों ने अपने 81 प्रतिशत कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया, जबकि 27 प्रतिशत प्रतिष्ठानों ने नौकरियों में कटौती की। सोमवार को जारी किए गए सर्वे से पता चलता है कि 69.5 प्रतिशत प्रतिष्ठानों ने देशबंदी की घोषणा के पहले दिन 25 मार्च की तुलना में 1 जुलाई, 2020 को तमाम लोगों की भर्तियां की। इस दौरान करीब 4 प्रतिशत प्रतिष्ठानों ने इस अवधि के दौरान भर्तियां बढ़ाईं। इससे पता चलता है कि 16 प्रतिशत कर्मचारियों को घटा हुआ वेतन मिला और करीब 3 प्रतिशत लोगों को इस दौरान वेतन नहीं दिया गया। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान रोजगार को हुए नुकसान और घटा वेतन मिलने या वेतन नहीं मिलने की वजह से कुल मिलाकर अनिश्चितता बढ़ी और इसकी वजह से वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में खपत में गिरावट आई।' सकल घरेलू उत्पाद पर आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक निजी अंतिम खपत व्यय, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग का पता चलता है, इस अवधि के दौरान 26 प्रतिशत कम हुआ।
