प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के दूसरे चरण ने रफ्तार पकड़ ली है और एक करोड़ लाभार्थियों को रसोई गैस (एलपीजी) का नया कनेक्शन देने का लक्ष्य पूरा होने वाला है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस योजना को क्रियान्वित कर रहीं तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) 95 लाख नए आवेदनों के लिए अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मंजूरी पहले ही हासिल कर चुकी हैं। केवाईसी की प्रक्रिया के जरिये संस्थाएं सेवाएं शुरू करने से पहले लक्षित लाभार्थी के विरणों को सत्यापित करती हैं। एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'इनमें से 23 लाख नए जमा मुक्त एलपीजी कनेक्शन पहले ही 10 अगस्त से 15 सितंबर के बीच बांटे जा चुके हैं।' सबसे अधिक कनेक्शन बिहार में बांटे गए हैं। अब तक राज्य के 6,05,000 लाभार्थियों को कनेक्शन दिए गए हैं। इसके बाद 3,34,000 कनेक्शन के साथ पश्चिम बंगाल का दूसरा स्थान है और 2,81,000 कनेक्शन के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को उत्तर प्रदेश के महोबा में एलपीजी कनेक्शन देकर पीएमयूवाई 2.0 को लॉन्च किया था। मोदी ने तब वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कहा था, 'उज्ज्वला कार्यक्रम के दूसरे चरण में स्व प्रमाणन पर अधिक जोर दिया जाएगा। इससे नौकरी की तलाश में अपने गांव घर को छोड़कर दूसरी जगहों पर जाने वालों को इस बार जमा मुक्त एलपीजी कनेक्शन लेने में मदद मिलेगी।' तेल मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक पीएमयूवाई के लाभार्थियों को सरल केवाई दिशानिर्देशों के तहत कनेक्शन दिए जा रहे हैं। चूंकि इस बार जोर प्रवासियों को कवर करने पर है लिहाजा केवाईसी मंजूरियों के लिए लाभार्थियों के आधार कार्ड पर दर्ज पते पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने चुनावी राज्य यूपी पर अपने भाषण को केंद्रित करते हुए कहा था, 'बुंदेलखंड सहित समूचे उत्तर प्रदेश से लोग काम की तलाश में अपने गांवों से शहरों या अन्य राज्यों में जाते हैं। वहां उन्हें पते के सत्यापन की समस्या से जूझना पड़ता है। अब बाहर के इन कामगारों को पते के सत्यापन के लिए दर दर भटकने की जरूरत नहीं है। सरकार को प्रवासी कामगारों की ईमानदारी पर पूरा भरोसा है। अब इन्हें गैस कनेक्शन लेने के लिए केवल पते को लेकर स्वयं से घोषणा करनी होगी।' केंद्र सरकार पीएमयूवाई के तहत नए एलपीजी कनेक्शन के लिए 1,600 रुपये तक की नकद सहायता देती है। लाभार्थी को एलपीजी स्टोव और पहली बार गैस भरवाने का खर्च वहन करना होता है। इसके लिए लाभार्थी को ब्याज मुक्त ऋण की पेशकश की जाती है। तेल विपणन कंपनियां ऋण की रकम की वसूली लाभार्थियों द्वारा उसके बाद से सिलिंडर रीफिल की खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी से करती हैं। फरवरी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में पीएमयूवाई के मौजूदा 8 करोड़ लाभार्थियों में एक करोड़ नए लाभार्थी जोडऩे की घोषणा की थी। इस लक्ष्य के पूरा होने पर मार्च 2022 तक देश में एलपीजी उपभोक्ताओं की कुल संख्या 30 करोड़ के करीब हो जाएगी। देश में करीब 20.72 करोड़ गैर-पीएमयूवाई एलपीजी उपभोक्ता हैं। इस वर्ष चर्चित पीएमयूवाई के क्रियान्वयन की प्रासंगिकता इस रूप में भी है कि 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का महत्त्वपूर्ण चुनाव होने वाला है। सभी राज्यों में यूपी में ही पीएमयूवाई के सबसे अधिक लाभार्थी हैं। राज्य में करीब 1.5 करोड़ लोगों को इसके तहत कनेक्शन दिए गए हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल और बिहार में करीब 90-90 लाख कनेक्शन बांटे गए हैं। यूपी के अलावा गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में भी 2022 के आरंभ में चुनाव होने हैं। कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान कम आय वाले परिवारों की सहायता करने के लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत पीएमयूवाई के कनेक्शनधारियों को मुफ्त में तीन भरे हुए सिलिंडर दिए थे। इससे राजकोष पर 9,670.41 करोड़ रुपये का भार पड़ा था। पीएमयूवाई के लाभार्थियों को रकम अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भेजी गई थी। इससे देश में समग्र तौर पर एलपीजी खपत को बढ़ावा मिला था जबकि 2020-21 के दौरान अधिकांश अन्य ईंधनों की खपत में गिरावट आने की खबर आई थी।
