जैसे ही बीएसई के सेंसेक्स ने पहली बार शुक्रवार को 60,000 के आंकड़े को छुआ, कई सूचकांकों का मूल्यांकन भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। बीएसई का सेंसेक्स शुक्रवार को 31.3 गुना के पी/ई मल्टीपल पर बंद हुआ, जो उसके द्वारा 3 फरवरी 2021 को छुए गए 50,000 के निशान के वक्त दर्ज पीई मल्टीपल के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत कम था। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इसका यह मतलब नहीं है कि बाजार मौजूदा कैलेंडरी वर्ष शुरू के मुकाबले अब सस्ते हैं। पहली कोविड लहर में देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से मार्च 2020-जून 2020 तिमाही में कॉरपोरेट लाभ में बड़ी कमजोरी के कारण पिछले वित्त वर्ष सूचकांक की ईपीएस में भारी गिरावट आई थी। कॉरपोरेट लाभ तब से सामान्य हुआ है और पिछली चार तिमाहियों (सितंबर, 2020 से जून 2021 की अवधि) में आय में अच्छा सुधार दर्ज किया गया है। पी/बी अनुपात और जीडीपी के मुकाबले भारत के कुल बाजार पूंजीकरण जैसे अन्य मुख्य मानकों पर भी सूचकांक का मूल्यांकन 2007 से सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है। सेंसेक्स का मौजूदा पीबी वैल्यू अनुपात 3.9 गुना पर है जो इस साल फरवरी के 3.4 गुना के उसके पीबी अनुपात से करीब 13 गुना ज्यादा है। बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात के लिहाज से भी बाजार महंगा दिख रहा है। भारत की कुल बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात लीमन संकट के बाद से शुक्रवार को 127.6 प्रतिशत की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। यह इस अनुपात के लिए 15 वर्षीय 79.1 प्रतिशत के औसत की तुलना में करीब 60 प्रतिशत ज्यादा है। शुक्रवार को बीएसई पर सूचीबद्घ कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 261.2 लाख करोड़ रुपये था, जबकि भारत की मौजूदा जीडीपी इस साल जून में समाप्त 4 तिमाहियों के दौरान करीब 205 लाख करोड़ रुपये पर रही।
