आईटी/आईटीईएस जैसी सेवा निर्यात करने वाली कंपनियों की चिंताओं का समाधान करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने सोमवार को स्पष्ट किया कि विदेश स्थित अपनी मूल या सहायक कंपनियों को की जाने वाली सेवा आपूर्ति पर रिफंड के लिए पात्र होंगी और उसे निर्यातों के तौर पर नहीं लिया जाएगा। यह फैसला ऐसी कई सारी कंपनियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिन्हें विदेश स्थित अपनी मूल या सहायक कंपनी को सेवाओं का निर्यात करने पर रिफंड देने से इनकार कर दिया गया था। यह फैसला शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित हुई जीएसटी परिषद की बैठक में उसकी ओर से की गई सिफारिशों पर आधारित है। सरकार ने अब स्पष्ट किया है कि इन कंपनियों को अलग कानूनी इकाई के तौर पर लिया जाएगा क्योंकि ये अपने संबंधित देशों में अलग से निगमित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्पष्टीकरण के आ जाने से बड़े पैमाने पर निर्यातक समुदाय की चिंता का समाधान होगा और उन्हें अपने रिफंड दावे को मंजूर करवाने में मदद मिलेगी। एक अन्य स्पष्टीकरण में सीबीआईसी ने कहा है कि जिन मामलों में ई-इनवॉइस सृजित हुए हैं उनमें माल की आवाजाही के लिए इनवॉइस के भौतिक प्रति की आवश्यकता नहीं है। यह सुविधा कारोबारी सुगमता को ध्यान में रखकर दी गई है। इसमें कहा गया है, 'सेवाओं के निर्यात को लेकर विवेचन में उलझन का उल्लेख करते हुए कई प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं। मामले की जांच की गई है। व्यापार और उद्योग को हो रही मुश्किलों को ध्यान में रखकर और सभी क्षेत्रीय संरचनाओं में कानून के प्रावधानों को लागू करने में एकरूपता को सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड ने मामले को स्पष्ट किया है।' इसमें कहा गया है, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में निगमित कंपनी और भारत के बाहर किसी देश में उसके कानून के द्वारा या उसके तहत निगमित कॉर्पोरेट निकाय जिसे कंपनी अधिनियम के तहत विदेशी कंपनी के तौर पर भी संदर्भित किया जाता है सीजीएसटी अधिनियम के तहत अलग अलग व्यक्ति हैं और इसीलिए अलग अलग कानूनी निकाय हैं। इसीलिए इन दो अलग अलग व्यक्तियों को अलग अलग व्यक्ति के महज प्रतिष्ठानों के तौर पर नहीं समझा जाएगा।' प्राइस वाटरहाउस ऐंड कंपनी एलएलपी में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि भारतीय कंपनियों द्वारा विदेश में अपने समूह या संबद्घ निकायों को सेवाएं मुहैया कराने पर स्पष्टीकरण काफी महत्त्वपूर्ण बात है क्योंकि कुछ मामलों में रिफंड देने से केवल इस आधार पर इनकार कर दिया जाता था कि वे महज भिन्न व्यक्तियों के प्रतिष्ठान हैं जैसे कि एक ही कानूनी संस्था की कई शाखाएं। जैन ने कहा, 'इस कदम से पिछले एक वर्ष के दौरान शुरू हुए अनावश्यक विवादों के समाधान में मदद मिलेगी। इस फैसले से सबसे अधिक लाभ आईटी/आईटीईएस क्षेत्र को होगा। हो सकता है कि इसी तरह की समस्या अन्य क्षेत्रों को भी झेलनी पड़ी हो।' सिंघानिया जीएसटी कंसल्टैंसी में पार्टनर आदित्य सिंघानिया ने कहा, 'सीबीआईसी के स्पष्टीकरण से मोटे तौर पर निर्यातकों के समुदाय की चिंता का निराकरण होगा और वास्तव में उन्हें अपने रिफंड दावों को मंजूर करवाने का हौसला मिलेगा। इनमें से अधिकांश दावे फिलहाल न्याय निर्णयन/अपील प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं।'
