केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 1 अप्रैल 2021 से 6 सितंबर 2021 के बीच 26.1 लाख से अधिक करदाताओं को 70,120 करोड़ रुपये का आयकर रिफंड जारी किया है। इसमें से 24.7 लाख मामलों में 16,753 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर रिफंड जारी किया गया है। इतना रिफंड तब जारी कर दिया गया है, जब नए ई-फाइलिंग पोर्टल में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। इस महीने की शुरुआत में विभाग ने करदाताओं को नोटिस या सूचना भेजकर कहा था कि जल्द रिफंड प्राप्त करने के लिए तुरंत ऑनलाइन जवाब दें। आम तौर पर रिफंड आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने के 10 दिन के भीतर जारी कर दिया जाता है, लेकिन इसमें कई वजहों से देरी हो सकती है। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अर्चित गुप्ता ने कहा, 'कुछ मामलों में ऐसा होता है कि अगर करदाता आयकर विभाग के नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो आयकर विभाग आयकर रिटर्न पर कार्रवाई नहीं कर सकता है। इसलिए करदाताओं को उनके द्वारा जारी सूचना या नोटिसों का जवाब देना चाहिए ताकि आयकर विभाग उनके रिटर्न पर कार्रवाई कर सके और रिफंड जारी कर सके।'देरी के कारण रिफंड नहीं मिलने का एक प्रमुख कारण यह है कि आयकर विभाग करदाता की किसी लंबित देनदारी को रिफंड में से काट लेता है। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा ने कहा, 'ऐसे में करदाता के लिए बकाया कर देनदारी का ख्याल रखना बहुत जरूरी है ताकि रिफंड में से कटौती होने या रिफंड रोके जाने की दिक्कत से बचा जा सके। बैंक खाते की गलत जानकारी देना भी करदाता को समय पर रिफंड नहीं मिलने का एक प्रमुख कारण है।' रिफंड जारी नहीं होने की तीसरी वजह कर विभाग द्वारा रिटर्न को प्रोसेस किए जाने के बाद मांग तय करना है। ऐसा फॉर्म 26एएस में दिखाई गई राशि के मुकाबले करदाता द्वारा किए गए टीडीएस या टीसीएस के दावे में अंतर और धारा 234ए, 234बी या 234सी आदि के तहत ब्याज की गणना में अंतर की वजह से हो सकता है। सुराणा कहते हैं, 'ऐसे अंतर को आयकर विभाग द्वारा धारा 143(1) के तहत दी गई सूचना का जवाब देकर ठीक कराया जा सकता है।' इस पर बात भी गौर करना चाहिए कि अगर आईटीआर ई-फाइलिंग की तारीख से 120 दिन के भीतर सत्यापित नहीं किया जाता है तो कभी-कभी करदाताओं को रिफंड नहीं मिल पाता है। ऐसे रिटर्न को त्रुटिपूर्ण रिटर्न माना जाता है और शायद ऐसे रिटर्न का रिफंड आयकर विभाग जारी नहीं करे। एनए शाह ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर गोपाल बोहरा ने कहा, 'कभी-कभी ऐसा भी होता है कि रिटर्न को रिफंड के साथ प्रोसेस किया जाए, लेकिन अन्य वर्षों की बकाया मांग हो। ऐसे मामलों में विभाग धारा 245 के तहत जवाब के लिए नोटिस भेजता है। अगर करदाता नोटिस का जवाब नहीं देता है तो रिफंड जारी नहीं किया जाता है।' कई बार आयकर रिटर्न प्रोसेस नहीं होने की वजह से रिफंड में देरी होती है। गुप्ता कहते हैं, 'कभी-कभी इसकी वजह यह भी होती है कि आपका बैंक खाता पहले से वैध नहीं है।' इस बात का ध्यान रखें कि आपको रिफंड तभी मिलेगा, जब आपका बैंक खाता आपके पैन (स्थायी खाता संख्या) से जुड़ा होगा।रिफंड पर ब्याज- धारा 244ए अगर कोई करदाता रिफंड के दावे के साथ अपना आईटीआर दाखिल करता है और रिफंड की राशि कुल कर देनदारी के 10 फीसदी से अधिक है तो उसे अतिरिक्त कर भुगतान पर रिफंड मिलेगा। आयकर विभाग अगले वित्त वर्ष के 1 अप्रैल से प्रति महीने 0.50 फीसदी ब्याज देता है। बोहरा कहते हैं, 'अगर रिफंड में देरी होती है और यह रिफंड टीडीएस या अग्रिम कर का है तो करदाता आयकर 1 अप्रैल के बजाय रिटर्न भरने की तारीख से ब्याज पाने का हकदार होगा।'आपके द्वारा चुकाया जाने वाला ब्याज नए कर पोर्टल में तकनीकी खामियों की वजह से आपके खाते में तयशुदा रिफंड से अधिक रिफंड राशि आ जाए। तब आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 234डी काम आती है। सुराणा समझाते हैं, 'इसमें करदाता को रिफंड की गई समूची या अतिरिक्त राशि पर 0.5 फीसदी की दर से सामान्य ब्याज चुकाना पड़ता है। यह ब्याज रिफंड पहुंचने से लेकर नियमित आकलन की अवधि के दौरान हर महीने या महीने के अंश में देना पड़ता है।'रिफंड में देर सबसे पहले ई-फाइलिंग पोर्टल पर आईटीआर रिफंड की स्थिति जांचें और देखें कि आयकर विभाग ने रिफंड के बारे में क्या टिप्पणी की हैं। यदि रिफंड रोके जाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया है तो आप रिफंड फिर जारी करने की दरख्वास्त कर सकते हैं। अगर आपको समय से रिफंड नहीं मिलताहै तो उसे जल्दी हासिल करने के लिए आप केंद्रीय प्रोसेसिंग केंद्र में शिकायत कर सकते हैं।
