टेलीकॉम पैकेज से खजाने को 14,000 करोड़ रुपये की चपत
इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली September 17, 2021
अगर दूरसंचार कंपनियां सरकार के टेलीकॉम पैकेज की घोषणा का विकल्प चुनती हैं तो चालू वित्त वर्ष में इस क्षेत्र से मिलने वाली करीब 14,000 करोड़ रुपये गैर कर राजस्व प्राप्तियां प्रभावित हो सकती हैं। सरकार ने दूरसंचार पैकेज के रूप में स्पेक्ट्रम शुल्क और समायोजित सकल राजस्व (एजीएआर) बकाये पर 4 साल का मॉरेटोरियम देने की घोषणा की है।
पैकेज की घोषणा के आधार पर इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने अनुमान लगाया है कि इस क्षेत्र से मिलने वाला 46,000 करोड़ रुपये गैर कर राजस्व हर साल 4 साल तक टल सकता है, जो वित्त वर्ष 23 से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि इसमें एजीआर बकाये पर मॉरिटोरियम का 14,000 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम बकाये का 32,000 करोड़ रुपये मॉरिटोरियम शामिल है। यह पैकेज इस वित्त वर्ष में अक्टूबर से प्रभावी होगा।
अब वित्त वर्ष 22 पहले ही पिछले स्पेक्ट्रम बकाये के लिए मॉरिटोरियम के तहत है। नायर ने कहा कि एजीआर बकाया, जो इस वित्त वर्ष में मार्च से आने वाला था, वह भी टल गया है। इस तरह से इस साल शुद्ध असर 14,000 करोड़ रुपये का होगा।
नायर ने कि बजट में लगाए गए कई और अनुमान जैसे नई नीलामी से स्पेक्ट्रम से मिलने वाला धन भी प्रभावित हो सकती है, जिसकी वजह से वित्त वर्ष 2021-22 में बजट अनुमान की तुलना में 26,000 करोड़ रुपये कम राजस्व आएगा। उन्होंने कहा, 'हम अब अनुमान लगा रहे हैं कि टेलीकॉम सेक्टर से केंद्र को वित्त वर्ष 22 में आने वाला गैर कर राजस्व 28,000 करोड़ रुपये तक सीमित होगा, जो 54,000 करोड़ रुपये बजट अनुमान से बहुत पीछे है।' नायर ने कहा कि इसकी वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस वित्त वर्ष में दूरसंचार क्षेत्र से मिलने वाले राजस्व के बजट अनुमान और वास्तविक प्राप्तियों में 10,000 करोड़ रुपये का अंतर हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह कमी बजट अनुमान से 5-10 प्रतिशत तक रह सकती है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में दूरसंचार क्षेत्र से 1.33 लाख करोड़ रुपये गैर कर राजस्व का अनुमान लगाया था, लेकिन सिर्फ 34,000 करोड़ रुपये मिल सके। इस साल इस क्षेत्र से 54,000 करोड़ रुपये प्राप्ति के अनुमान लगाया गया है, जिसके मिलने की अब संभावना नहीं लग रही है।
शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी के सीओओ जयदीप घोष ने कहा कि ऑपरेटर लाइसेंस शुल्क के रूप में एजीआर का करीब 8 प्रतिशत और स्पेक्ट्रम उपभोग शुल्क (एसयूसी) के रूप में एजीआर का 3 से 5 प्रतिशत सालाना सरकार को भुगतान करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ हद तक इसकी भरपाई दूरसंचार ऑपरेटरों के बढ़े राजस्व से हो सकेगी।
नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को जहां इससे राहत मिली है क्योंकि इस सुधार से नकदी का संकट कम होगा, वहीं यह सरकार के बजट आवंटन पर असर डाल सकता है।
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