वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित हो रही है। करीब 20 महीने बाद पहली बार भौतिक रूप से आयोजित हो रही इस बैठक में केंद्र और राज्यों के बीच विवाद का विषय बने दो मसलों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है। इनमें से पहला है राज्यों के लिए क्षतिपूर्ति उपकर अवधि का विस्तार तथा दूसरा पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना। अनुमान है कि राज्य मौजूद 14 फीसदी की वृद्धि दर के साथ ही क्षतिपूर्ति की अवधि में पांच वर्ष के विस्तार को लेकर दृढ़ रहेंगे। परिषद में विमानन ईंधन (एटीएफ) समेत पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने के बारे में भी चर्चा होगी। इस विषय में केरल उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई है जिसमें कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल न किए जाने के कारण इन दोनों उत्पादों की कीमत बढ़ी है और याची (जोकि एक ऑटो रिक्शा चालक है) का पेशा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। केंद्र सरकार जून 2022 के बाद के परिदृश्य को लेकर एक विस्तृत प्रस्तुति देगी और ऐसे विकल्प सामने रखेगी जिनकी मदद से कमी की भरपाई की जा सकती है। इस बात की संभावना बहुत कम है कि वह क्षतिपूर्ति उपकर को लेकर 14 फीसदी वृद्धि के फॉर्मूले पर सहमति होगी।माना जा रहा है कि केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि को पांच वर्ष बढ़ाने का मसला मजबूती से उठाएंगे। बालगोपाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'क्षतिपूर्ति उपकर को समान शर्तों पर, 14 फीसदी की अनुमानित वृद्धि दर के साथ बढ़ाया जाना चाहिए। हम कम वृद्धि दर पर राजी नहीं होंगे।' छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव जो परिषद में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उन्होंने कहा है कि यदि 2022 के बाद क्षतिपूर्ति रोक दी गई तो उनके राज्य को सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि जून 2022 के बाद छत्तीसगढ़ को सबसे अधिक नुकसान होगा क्योंकि जीएसटी खपत आधारित कर है।उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे खपत वाले राज्यों को जीएसटी प्रणाली से लाभ हो रहा है, वहीं उत्पादक राज्यों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, 'खपत वाले राज्यों को मूल्यवद्र्धित कर प्रणाली की तुलना में उच्च राजस्व हासिल हो रहा है जबकि उत्पादक राज्यों को जीएसटी प्रणाली में भारी नुकसान हो रहा है। हमारे द्वारा उत्पादित वस्तुओं पर उत्तर प्रदेश को कर हासिल होता है हमें नहीं। हमें बॉक्साइट, स्टील, सीमेंट, लौह अयस्क या किसी अन्य ऐसे उत्पाद पर कर नहीं मिलता जो हमारे यहां होती जबकि उनके उत्पादन में छत्तीसगढ़ की जमीन और जल संसाधन का इस्तेमाल होता है। लेकिन हमें राजस्व नहीं मिलता।' उन्होंने कहा कि वह मांग करेंगे कि उत्पादन करने वाले राज्यों के लिए क्षतिपूर्ति का विस्तार किया जाए। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य कम अनुमानित वृद्धि दर पर क्षतिपूर्ति विस्तार के लिए सहमत होगा, देव ने कहा कि ऐसी दर कम से कम तर्कसंगत होनी चाहिए। दिल्ली की ओर से भी जीएसटी क्षतिपूर्ति अवधि में विस्तार की मांग जोरदार ढंग से रखी जा सकती है। राज्य की दलील है कि यदि इसे 2022 से आगे नहीं बढ़ाया गया तो उसे सालाना करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलनिवेल त्यागराजन और छत्तीसगढ़ के देव अपने राज्यों में पूर्व नियत कार्यक्रमों के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे। केंद्र की ओर से यह जानकारी दी जाएगी कि जीएसटी राजस्व का प्रदर्शन इस वर्ष अनुमान से बेहतर रहेगा और करीब एक लाख करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति उपकर राज्यों को दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त बाजार से उधार ली गई 1.59 लाख करोड़ रुपये की राशि अंतर को पाटने और गत वर्ष के बकाये की भरपाई में काम आएगी। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है और इसके लिए एक बैठक पर्याप्त नहीं होगी।
