वित्तीय संकट झेल रही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में सरकार 10 रुपये के अनुमानित शेयर मूल्य पर 30 से 70 फीसदी के दायरे में हिस्सेदारी ले सकती है। विश्लेषकों ने यह अनुमान जाहिर किया है। चार साल की मोहलत अवधि खत्म होने के बाद सरकार ने अपने बकाये को इक्विटी में बदलने की पेशकश की है। उनका कहना है कि इससे कंपनी को काफी राहत मिलेगी।
हालांकि इसकी प्रक्रियाओं को वित्त मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है। मंत्रालय ने दो विकल्पों की पेशकश की है। पहला, दूरसंचार ऑपरेटर को चार साल की मोहलत अवधि खत्म होने के बाद स्पेक्ट्रम शुल्क एवं एजीआर बकाये पर ब्याज को सरकार के लिए इक्विटी में बदलने की बात कही गई है। लेकिन दूसरे विकल्प के तहत चार साल की मोहलत अवधि खत्म होने के बाद स्पेक्ट्रम शुल्क एवं एजीआर बकाये की मूल रकम को इक्विटी में बदलने का विकल्प केवल सरकार के पास होगा।
सरकार के इस कदम पर कई विश्लेषकों ने सवाल उठाया है। उनका कहना है कि इन दोनों विकल्पों से वोडाफोन आइडिया को सरकारी कंपनी बनाने और उसके संभावित रणनीतिक निवेशकों को हतोत्साहित करने की कोशिश की गई है। कंपनी संभावित रणनीतिक निवेशकों से 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश कर रही है लेकिन अब तक वह ऐसा करने में विफल रही है। हालांकि कंपनी का शेयर आज 27.37 फीसदी बढ़त के साथ 11.40 रुपये पर बंद हुआ। यदि अगले चार साल के दौरान कंपनी का मूल्यांकन बढ़ता है तो उसमें सरकार की शेयर हिस्सेदारी जाहिर तौर पर घट सकती है।
वोडाफोन आइडिया के करीबी सूत्रों ने कहा कि इससे सभी हितधारकों को आश्वासन मिलेगा कि चिंता के बावजूद उसका परिचालन जारी रहेगा क्योंकि कंपनी के प्रबंधकों के साथ-साथ अंकेक्षकों ने वित्तीय नतीजे तैयार करते समय वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, 'सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि वह निजी दूरसंचार क्षेत्र में द्विध्रुवीय व्यवस्था की अनुमति नहीं देगी और चार साल के बाद भी यदि वित्तीय स्थिति चुनौतीपूर्ण रही तो भी उसका परिचालन जारी रहेगा। यह काफी सकारात्मक संकेत है और इससे निवेशकों को आकर्षित करने में आसानी होगी।'
जेएम फाइनैंशियल ने भी कहा है कि इक्विटी विकल्प से वोडाफोन आइडिया को काफी राहत मिलेगी। उसे अगले चार साल के दौरान शुल्क दरों में स्थिरता रहने की विपरीत स्थिति से निपटने में भी सहारा मिलेगा। इस पैकेज की घोषणा करते समय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इसी तरह का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सरकार बाजार में प्रतिस्पर्धा को बरकरार रखने के लिए अधिक से अधिक कंपनियों को बरकरार रखना चाहती है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के आंकड़ों के अनुसार, वोडाफोन आइडिया को चार साल के बाद स्पेक्ट्रम शुल्क एवं एजीआर बकाये के तौर पर 9,400 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। इस प्रकार, 10 रुपये प्रति शेयर मूल्य पर 30,000 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण के साथ कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी हो जाएगी।
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