भारत और ब्रिटेन के मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) संबंधी वार्ताओं के लिए आगे बढऩे के साथ ही यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूकेबीआईसी) ने इसी महीने ब्रिटेन की सरकार को प्री-एफटीए मसौदा सौंपा है। यूकेबीआईसी के समूह अध्यक्ष रिचर्ड हील्ड ने श्रेया नंदी के साथ बातचीत में कुछ क्षेत्रों में टैरिफ में कटौती, सामानों पर गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने और डेटा सुरक्षा नियमों को क्रमबद्घ करने जैसे तीन क्षेत्रों पर ध्यान देने की बात कही। पेश हैं मुख्य अंश: व्यापार मुक्त समझौते के बाद लघु समझौतों की शृंखला के पीछे का क्या तर्क है? यदि आप इस बात पर नजर डालें कि एफटीए पर किस प्रकार से चर्चा हुई है और भारत या ब्रिटेन की तरफ से विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत में लगने वाले समय को देखें तो अक्सर इसमें अच्छा खासा वक्त लगा है। वे टैरिफ संबंधी मुद्दों और दीर्घावधि के मुद्दों पर विचार कर रहे हैं, जिस पर शीघ्रता से पहल कर या अंतरिम समझौते के जरिये आसानी से विभिन्न पक्षों के बीच सहमति बनाई जा सकती है जिससे कि इस व्यापक मुक्त व्यपार चर्चा पर समग्र प्रक्रिया एक पुनरावृति प्रक्रिया में बदले। यह आगे बढऩे का बहुत गंभीर तरीका है क्योंकि इससे काराबारियों को एक सकारात्मक संदेश जाता है कि एक सफल परिणाम तक पहुंचने के लिए इसमें कुछ हद तक वास्तविकता है। आरंभिक चरणों में किन बातों ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि दोनों देशों के लिए फायदेमंद स्थिति बने?तीन ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर चर्चा में ध्यान दिया जाना चाहिए। पहला है अपेक्षाकृत सीमित दायरे वाले क्षेत्रों में टैरिफ घटाया जाना चाहिए। इनमें मादक पेय, खाद्य और पेय पदार्थ और साथ ही स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र शामिल है। दूसरा क्षेत्र सामानों और व्यापार पर गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना है जैसे कि मानकों को उपयुक्त बनाना, बोझिल सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाना और निश्चित क्षेत्रों में कुछ ऐसे शुल्क भी हो सकते हैं जिन्हें प्रमुखता दी जा सकती है।तीसरा क्षेत्र जहां हमें लगता है कि अपेक्षाकृत तेजी से प्रगति की जा सकती है वह है अभिनव और तकनीकी तौर पर समृद्घ डिजिटल तौर पर केंद्रित उद्योगों में विकास को आगे बढ़ाने के लिए आईपी सुरक्षा और डेटा सुरक्षा नियमों को क्रमबद्घ करने पर ध्यान देना। कुछ ऐसे पहलू हैं जिन्हें लघु समझौतों को हिस्सा बनाया जा सकता है। कुछ निश्चित टैरिफ और गैर-टैरिफ तथा आईपी मुद्ïदे हैं जिन पर चर्चा की जा सकती है। इनमें से कुछ क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच पहले से ही वार्ता चल रही है। पिछली तारीख से कर समाप्त करने के भारत के ताजा निर्णय से निवेशक की धारणा किस प्रकार का बदलाव आया है? जाहिर तौर पर संशोधन का यूकेबीआईसी ने स्वागत किया है। मुझे लगता है कि यह इस बात का बहुत सकारात्मक संदेश है कि भारत कारोबार के लिए खुला है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का स्वागत कर रहा है। आप भारत में किस तरह का अवसर देख रहे हैं? हम कंपनियों से कई क्षेत्रों के बारे में सुन रहे हैं, जिस पर बात चल रही है। मुख्य ध्यान भविष्य के कारोबार, डिजिटल डेटा सेवा, डेटा संरक्षण, डेटा स्थानीयकरण एवं मानकीकरण पर है। मुझे लगता है ये प्राथमिकता के क्षेत्र हैं। अन्य क्षेत्र खाद्य एवं बेवरिज है, जिस पर ब्रिटेन के उद्यमी बहुत जोर दे रहे हैं। मैं सिर्फ एल्कोहल वाले पेय की बात नहीं कर रहा, मैं खाद्य आयात और निर्यात की बात कर रहा हूं। अन्य क्षेत्र उच्च शिक्षा, खासकर आपसी मान्यता वाली योग्यताएं, ऑनलाइन डिग्रियों व भारत में चल रहे विदेशी विश्वविद्यालयों की सीमा है, जिस पर हमारा ध्यान है। हेल्थकेयर और लाइफस्टाइल में हम पहले से ही साथ काम कर रहे हैं।
