ज़ी एंटरप्राइज के चेयरमैन आर गोपालन ने आज यहां शेयरधारकों की सालाना साधारण बैठक (एजीएम) में दो निदेशकों- अशोक कुरियन तथा मनीष चोखानी के इस्तीफों और कॉरपोरेट प्रशासन नियमों में खामियों के प्रॉक्सी परामर्श कंपनी के आरोपों का कोई जिक्र नहीं किया। एजीएम में कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक द्वारा भेजे गए उस नोटिस पर भी चर्चा नहीं हुई, जिसमें मौजूदा एमडी और सीईओ पुनीत गोयनका को हटाने के लिए असाधारण बैठक (ईजीएम) बुलाने की मांग की गई है। इस एजीएम में ज़ी समूह के मुखिया सुभाष चंद्रा, एमडी एवं सीईओ पुनीत गोयनका और अन्य स्वतंत्र निदेशकों ने हिस्सा लिया। ज़ी एंटरटेनमेंट की सबसे बड़ी शेयरधारक इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड (पहले इन्वेस्को ओपनहाइमर डेवलपिंग मार्केट्स फंड) और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड आईसीसी ने बोर्ड से पुनीत गोयनका और दो स्वतंत्र निदेशकों को हटाने के लिए कंपनी की असाधारण बैठक बुलाने को कहा है। एजीएम इसीलिए की गई। इन फंडों ने ज़ी एंटरटेनमेंट के बोर्ड में अपने छह नामितों की नियुक्ति की मांग की है। प्रवर्तक सुभाष चंद्रा परिवार के पास कंपनी में केवल 4 फीसदी हिस्सेदारी है। ज़ी एंटरटेनमेंट की प्रवर्तक कंपनियां 13,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुका पाई थीं, जिसे चुकाने के लिए परिवार को अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी थी।गोयनका ने अपने भाषण में इन्वेस्को के ईजीएम नोटिस का कोई जिक्र नहीं किया और ज़ी की 4.0 योजना के बारे में बात करने को तरजीह दी। एक कॉरपोरेट वकील ने कहा कि शेयरधारकों के नोटिस भेजने के बाद तीन सप्ताह में ईजीएम बुलानी जरूरी है। दो प्रॉक्सी परामर्श कंपनियों- इंस्टीट्यूशनल एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) और इनगवर्न ने कंपनी मेें कंपनी परिचालन के बारे में गंभीर चिंताएं जताई थीं, जिसके बाद ईजीएम की मांग उठी है। इनगवर्न ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ज़ी के शेयरधारकों को कंपनी के पूरे बोर्ड के पुनर्गठन पर पुनर्विचार की बात सोचनी चाहिए।
