जोमैटो ने इस साल जुलाई में शुरू की गई अपनी ग्रोसरी डिलिवरी सेवा को बंद करने का निर्णय लिया है। कंपनी ने ऑर्डर पूरे होने में विलंब को ध्यान में रखते हुए यह सेवा बंद करने का फैसला किया है। कंपनी ने इस संबंध में शनिवार को एक ईमेल के जरिये अपने ग्रोसरी स्टोर भागीदारी को इस निर्णय से अवगत करा दिया था। जोमैटो के एक अधिकारी ने कहा, 'हमने अपनी ग्रोसरी पायलट सेवा बंद करने का निर्णय लिया है, और अभी हमारी अपने प्लेटफॉर्म पर किसी अन्य तरह की किराना डिलिवरी की कोई योजना नहीं है। ग्रोफर्स ने 10 मिनट ग्रोसरी खंड में उच्च गुणवत्ता उत्पाद बाजार में पैठ बढ़ाने पर जोर दिया है और हमारा मानना है कि कंपनी में हमारा निवेश हमारे घरेलू किराना संबंधित प्रयासों के बजाय हमारे शेयरधारकों को ज्यादा बेहतर परिणाम दिलाएगा।'कंपनी 17 सितंबर से अपने ग्रोसरी डिलिवरी पायलट सेवा बंद कर देगी। जोमैटो की ग्रोसरी डिलिवरी सेवा में 45 मिनट के अंदर ऑर्डर पूरा करने का वादा किया गया था और उसने एक ईमेल में अपने किराना भागीदारों को इस नए फैसले से अवगत करा दिया है। कंपनी का कहना है कि इस सेवा को अच्छी सफलता नहीं मिली। जोमैटो ने ईमेल में कहा है, 'स्टोर कैटलॉग बेहद गतिशील हैं और इन्वेंट्री स्तर अक्सर बदलता रहता है। इससे ऑर्डर पूरे करने की प्रक्रया में अंतर बढ़ा है जिससे ग्राहक अनुभव हो रहा है। समान अवधि में (दो महीने की परीक्षण अवधि) एक्सप्रेस डिलिवरी मॉडल (जो 15 मिनट डिलिवरी की पेशकश करता है) में तेजी आई है और इसमें तेजी से विस्तार हुआ। हमने महसूस किया है कि हमारे जैसे मार्केटप्लेस मॉडल में लगातार ऊंची ऑर्डर पूर्ति दरों के साथ ऐसे डिलिवरी वादे को पूरा करना वाकई कठिन है।'जोमैटो ने जुलाई में अपनी आईपीओ पेशकश की शुरुआत के साथ अपनी ग्रोसरी डिलिवरी सेवा पेश करने की घोषणा की थी। उस वक्त, कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी अक्षांत गोयल न कहा था कि ग्रोसरी खंड एक बड़ा अवसर है और यह अभी भी शुरुआती अवस्था में है। उन्होंने फूड डिलिवरी और ग्रोफस में अल्पांश हिस्सेदारी के लिए कंपनी के 10 करोड़ डॉलर के निवेश की भी पुष्टि की थी। ग्रोफर्स ने जुलाई से अपने 15 से 10-मिनट डिलिवरी रणनीति का तेजी से विस्तार किया और इसे अगस्त के अंत तक 10 शहरों तक पहुंचाने में सफलता हासिल की।कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत के किराना डिलिवरी व्यवसाय में अच्छी तेजी दर्ज की गई है। उद्योग के अनुमान के अनुसार, यह बाजार वर्ष 2020 में करीब 80 प्रतिशत बढ़कर 2.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया और वर्ष 2025 तक इसके 20-25 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की संभावना है।
