ऊर्जा समाधान क्षेत्र की कंपनी कन्वर्ज एनर्जी सॉल्यूशंस सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) जल्द ही देश का पहला ग्रिड स्तर का बैटरी स्टोरेज कार्यक्रम शुरू करेगी। सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ईईएसएल के मातहत गठित सीईएसएल सौर-कृषि समाधान, इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन और चार्जिंग ढांचे में भी अपना विस्तार करेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और एलईडी की कई परियोजनाओं को पूरा कर चुकी सीईएसएल की प्रबंध निदेशक महुआ आचार्य ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि उनकी कंपनी का बैटरी स्टोरेज कार्यक्रम ग्रिड के स्तर का होगा। उन्होंने कहा, 'हम इसके साथ कारोबार वितरण और ऊर्जा बाजार में कदम रख रहे हैं। इसके पीछे सोच यह है कि जब भी मांग में गिरावट हो तो बैटरी स्टोरेज कंपनियां पांच सेकेंड में बिजली देने की स्थिति में हों। बैटरी स्टोरेज मासिक किराये के एवज में एक आपातकालीन सेवा हो सकती है।' उन्होंने कहा कि ग्रिड-स्तरीय बैटरी कार्यक्रम में बहुपक्षीय दृष्टिकोण रखा जाएगा। इसमें न केवल एक पूरक ऊर्जा स्रोत मुहैया कराया जाएगा बल्कि यह बिजली वितरण कंपनियों का पूंजी व्यय भी कम करेगा।आचार्य कहती हैं, 'हमारे तमाम ट्रांसफॉर्मरों पर अधिक भार है और उन्हें अपग्रेड करने की जरूरत है। लेकिन वितरण कंपनियां वित्तीय परेशानी में हैं लिहाजा वे ऐसा नहीं कर पा रही हैं। ऐसी स्थिति में एक बैटरी व्यवस्था से उनके लिए गुंजाइश पैदा होगी और वे उन्नतीकरण पर निवेश को टाल सकती हैं।' उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियां बैटरी प्रणाली लगाकर सिस्टम अपग्रेड पर आने वाले खर्च को टाल सकती हैं। वहीं बैटरी स्टोरेज कंपनियों को इसके लिए भुगतान मिलेगा। उन्हें उम्मीद है कि वितरण कंपनियां बैटरी स्टोरेज सेवा का लाभ लेने के लिए आगे आएंगी। सीईएसएल ने इसकी व्यवहार्यता को लेकर तीन अध्ययन कराए हैं और अगले कुछ हफ्तों में यह सेवा शुरू कर देगी। इस बैटरी इकाई का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने में भी किया जा सकता है जो राजस्व का एक अन्य जरिया होगा। सीईएसएल सार्वजनिक परिवहन वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी एक योजना शुरू करने पर विचार कर रही है। आचार्य ने कहा, 'हम इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन पर सब्सिडी पाने के लिए एक बड़ी चुनौती शहरों के समक्ष रखेंगे। सब्सिडी की यह रकम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए घोषित फेम-2 योजना से आएगी।' इस चुनौती का हिस्सा बनने के लिए शहरों को चार्जिंग सुविधा से युक्त एक मानकीकृत बस डिपो, आवागमन की न्यूनतम दूरी और भुगतान सुरक्षा से जुड़ी जानकारी देनी होगी। 12 मीटर लंबी एक बस के लिए 55 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी जबकि 9 मीटर लंबी बस के लिए यह राशि 45 लाख रुपये होगी। कोलकाता ने इसके लिए अपनी दिलचस्पी जता भी दी है।ईईएसएल की एक सहायक इकाई के तौर पर सीईएसएल का गठन नवंबर 2020 में सौर इकाइयां लगाने और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
