बाजार में स्मॉल-कैप और मिड-कैप आधारित योजनाओं का प्रतिफल अगस्त में इस साल पहली बार लार्ज-कैप के मुकाबले कमजोर रहा है। इससे निवेशकों में लार्जकैप योजनाओं में निवेश के लिए उत्साह बढ़ सकता है। बाजार के अलग अलग प्रदर्शन और ऊंचे मूल्यांकन को देखते हुए निवेशक लार्ज-कैप और छोटी योजनाओं के बीच निवेश को लेकर उलझन में हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में गिरावट का इस्तेमाल जोखिम सहन करने की क्षमता वाले निवेशकों द्वारा खरीदारी के अवसर के तौर पर किया जा सकता है। उनका कहना है कि दीर्घावधि नजरिये से स्मॉल-कैप और मिड-कैप श्रेणी में प्रतिफल के अवसर मौजूद हैं। वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले महीने के दौरान मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंडों ने 4.9 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत के औसत प्रतिफल दिए, वहीं दूसरी तरफ, लार्ज-कैप फंडों ने 7 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया। अगस्त में स्मॉल-कैप सेगमेंट की कमजोरी की वजह से निवेशकों ने इन योजनाओं से बिकवाली की। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि स्मॉल-कैप फंडों ने अगस्त में 163 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की, जबकि लार्ज-कैप और मिड-कैप फंडों में 451 करोड़ रुपये और 162 करोड़ रुपये का निवेश प्रवाह आकर्षित हुआ।टीबीएनजी कैपिटल एडवायजर के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी तरुण बिरानी ने कहा, ' स्मॉल-कैप में निकासी इस क्षेत्र में ऊंचे मूल्यांकन के अनुरूप है, क्योंकि निवेशक शुद्घ तौर पर इक्विटी रणनीति में पूंजी आवंटन को लेकर अनिश्चित हैं। इक्विटी आवंटन में मूल्यांकन-केंद्रित रणनीति एक बेहतर रणनीति है।' कई फंड प्रबंधक इसे मजबूत पोर्टफोलियो बनाने के अच्छे अवसर के तौर पर देख रहे हैं, क्योंकि गिरावट के बाद कई मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों में नकदी प्रवाह मजबूत हआ है और मूल्यांकन भी उचित दिख रहा है। पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड की वरिष्ठï फंड प्रबंधक (इक्विटी) अनिरुद्घ नाहा ने एक रिपोर्ट में कहा, 'हमारा मानना है कि आय की रफ्तार अगले कुछ वर्षों तक मजबूत बनी रहेगी। व्यवस्था में कम कर्ज से भी अच्छा दीर्घावधि प्रतिफल हासिल करने में मदद मिल सकती है। पिछले साल के दौरान रिकवरी आधारित तेजी के बाद भी स्मॉल-कैप सूचकांक का प्रदर्शन 3 और पांच वर्ष के आधार पर लार्ज-कैप के मुकाबले कमजोर रहा, जिससे पता चलता है कि लगातार आर्थिक सुधार की मदद से तेजी की गुंजाइश बनी हुई है।'पिछले महीने की अनिश्चितता के बावजूद, प्रमुख सूचकांक के लिए प्रतिफल एक वर्षीय अवधि के लिजा से आकर्षक बना रहा। पिछले साल के दौरान, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंडों ने 74 प्रतिशत और 91 प्रतिशत के औसत प्रतिफल दिए। वहीं लार्ज-कैप फंडों ने समान अवधि में करीब 56 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि वैश्विक निवेशक धारणा मजबूत बनी रही और अमेरिकी केंद्रीय बैंक का रुख सहयोगात्मक बना रहा तो निवेशक एक बार फिर से स्मॉल-कैप फंडों में निवेश की संभावना तलाशेंगे।
