उत्तर प्रदेश में गैर पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने में जुटी सरकार ड्रैगन फ्रूट के लिए किसानों को अनुदान देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उद्यान विभाग ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को 30000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान देने का फैसला किया है। उद्यान विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस प्रोत्साहन के बाद इस सुपर फूड की खेती में किसानों की रुचि बढ़ेगी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में चीन और अमेरिका में सुपर फ्रूट मानी जानी वाली चिया सीड को उगाने वाले बाराबंकी के किसान हरिश्चंद्र की तारीफ की थी। अब हरिश्चंद्र ने र बाराबंकी के अमसेरुवा गांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दी है। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस समय एक किलो ड्रैगन फ्रूट 350 रुपये में बिक रहा हैं। सूबे के किसान इसकी खेती कर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया में, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरिबियन देशों, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में ड्रैगन फ्रूट की खेती होती है। गुजरात सरकार ने इस फल को कमलम नाम दिया है। एंटीऑक्सीडेंट, बसा रहित, फाइबर से भरपूर ड्रैगन फ्रूट में कैल्शियम, मैग्नेशियम और आयरन के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन सी एवं ए भी पाया जाता है। अपनी इन्ही खूबियों के नाते इसे सुपर फ्रूट भी कहा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों की आय बढ़ाने में करारगर साबित होगी। इसकी खेती में रखरखाव पर ज्यादा खर्च नहीं आता है क्योंकि रसायनिक खाद आदि का उपयोग इस खेती में नहीं होता। गोबर और जैविक खाद का इस खेती में उपयोग होता है। एक बार लगाए पौधे से तीस साल तक फल मिलता है। हरिश्चंद्र के मुताबिक एक एकड़ में लगाए गए ड्रैगन फ्रूट अगले 30 वर्ष तक फल देंगे और हर साल इन्हें 15 लाख रुपये प्राप्त होंगे।
