करीब 36 लाख करोड़ रुपये मूल्य के घरेलू म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग ने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (एसआईपी) का मजबूत आधार तैयार किया है। उद्योग की एसआईपी निवेश रणनीति और ज्यादा मजबूत होती जा रही है। अगस्त में, इस विकल्प के जरिये पूंजी प्रवाह करीब 10,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और महंगे इक्विटी मूल्यांकन की चिंताओं के बावजूद नए एसआईपी पंजीकरण की संख्या 25 लाख की सर्वाधिक ऊंाई पर पहुंच गई थी। एसआईपी के लिए कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 5.3 लाख करोड़ रुपये की नई ऊंचाई पर पहुंच गईं। एसआईपी के मजबूत आंकड़े को देखते हुए विश्लेषकों ने इस क्षेत्र को सराहा है। ब्रोकिंग फर्म नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'एमएफ एयूएम कमजोर प्रवाह के बावजूद वित्त वर्ष 2021 में मजबूत बनी रहीं और उन्हें मजबूत पूंजी बाजारों से मदद मिली। हम पिछले 6 महीनों में इक्विटी प्रवाह में लगातार सुधार देख रहे हैं और एसआईपी में तेजी आई है जिसे एएमसी के लिए अनुकूल रिस्क-रिवार्ड माना जा रहा है।'पिछले तीन महीनों में एसआईपी पूंजी प्रवाह प्रत्येक महीने में 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का रहा। इस वित्त वर्ष में अब तक, एसआईपी विकल्प के जरिये निवेश प्रवाह 46,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। विश्लेषकों का कहना है कि बाजारों में तेजी के साथ साथ नए जमाने के डिजिटल प्लेटफॉर्मों से निवेश आसान बनने से भी एसआईपी प्रवाह को मदद मिली है। वित्त वर्ष 2021 में, जब इक्विटी फंडों से लगातार निकासी दर्ज की जा रही थी, एसआईपी में प्रवाह मजबूत बना रहा और इस विकल्प के जरिये करीब 96,000 करोड़ रुपये का शुद्घ निवेश आकर्षित हुआ था। एसआईपी एक ऐसी निवेश प्रणाली है जिसमें निवेशक हर महीने एक निर्धारित रकम निवेश करता है। चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों में, करीब 1 करोड़ नए एसआईपी खाते खुले हैं, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 1.413 करोड़ था। इस उद्योग की कंपनियों का मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्मों की पैठ बढऩे से एसआईपी बहीखाते के लिए गुंजाइश और मजबूत होगी। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के सह-मुख्य व्यावसायिक अधिकारी आश्विन दुग्गल ने कहा, 'रिटेल भागीदारी लगातार बढ़ी है, जिसका अंदाजा पिछले कुछ महीनों के दौरान एसआईपी खातों की संख्या में आई तेजी से लगाया जा सकता है। साथ ही फिनटेक कंपनियों के योगदान से भी एसआईपी की संख्या तीन गुना बढ़ाने में मदद मिली है। हालांकि दो-तिहाई एसआईपी बहीखाते अभी भी पारंपरिक चैनलों से जुड़े हुए हैं। मेरा मानना है कि निवेशकों में इसे लेकर भरोसा बढ़ रहा है कि आर्थिक सुधार बरकरार रहेगा। साथ ही छोटे निवेशक इक्विटी में दीर्घावधि निवेश को पसंद करते हैं।' अगस्त में जहां इक्विटी प्रवाह 62 प्रतिशत घटकर 8,667 करोड़ रुपये रह गया, वहीं जुलाई में यह 22,584 करोड़ रुपये पर था। हालांकि एसआईपी प्रवाह में मासिक आधार पर तेजी दर्ज की गई है। जहां शुरू में, एसआई निवेशक तीन साल की औसत समय सीमा में निवेश बनाए रखते थे, वहीं अब वे इससे ज्यादा लंबी अवधि में भी निवेश बनाए रखना पसंद कर रहे हैं।
