विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के एक समूह ने भारत में टी प्लस 1 (कारोबार एïवं एक दिन अतिरिक्त) निपटान चक्र अपनाए जाने से चिंतित होकर वैश्विक सूचकांक प्रदाताओं एमएससीआई और एफटीएसई रसेल से संपर्क साधने की योजना बनाई है। भारत के छोटे निपटान चक्र के कदम से वैश्विक निवेशकों के बीच उसके पूंजी बाजार का आकर्षण घट सकता है। इससे एफपीआई का भारत के प्रति नजरिया प्री-फंडिंग बाजार का बन सकता है, जिसमें शेयर मिलने से पहले धन होना जरूरी है। सीमित समय को मद्देनजर रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों से अलग नियमों के कारण निपटान असफलता का जोखिम बढ़ सकता है। इससे कुछ एफपीआई को निपटान से पहले विदेशी मुद्रा की बुकिंग और टी (कारोबारी दिवस) या टी-1 पर पैसा तैयार रखना पड़ सकता है ताकि स्थानीय कस्टोडियन कारोबारी दिवस पर कारोबार की पुष्टि कर सके। एफपीआई के एक औद्योगिक संगठन असिफमा में इक्विटी प्रमुख लिंडन चाओ ने कहा, 'टी प्लस 1 को अपनाने के कारण हुए बदलाव से भारत के पूंजी बाजारों में एफपीआई के निवेश के लिए अनुचित कारोबारी अवरोध पैदा हो सकता है और वे एमएससीआई के समक्ष अपनी चिंताएं रख सकते हैं। इस समय हमारे खरीदार सदस्य एमएससीआई और एफटीएसई रसेल से संपर्क साधने की योजना बना रहे हैं। बाजार तक पहुंचने में आसानी बाजारों के बीच सापेक्षता का मामला है और सूचकांक कंपनियां इसी के आधार पर तुलनात्मक बाजार भारांश का आकलन करती हैं।' इसकी प्रमुख लिवाल सदस्यों में ब्लैकरॉक, ब्लैकस्टोन, अमूंडी एसेट मैनेजमेंट, अबरडीन स्टैंडर्ड इन्वेस्टमेंट, बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट, फिडेलिटी, गोल्डमैन सैक्स एसेट मैनेजमेंट, जेपी मॉर्गन एसेट मैनेजमेंट, मॉर्गन स्टैनली इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट, नोमुरा, श्रोडर्स और टी रोवी प्राइस आदि शामिल हैं। छोटे निपटान चक्र को अपनाने के कदम को अगर सूचकांक प्रदाताओं द्वारा प्रतिबंधात्मक कारोबारी गतिविधि के रूप में देखा जाता है तो इससे प्रमुख वैश्विक सूचकांकों में भारत का भारंाश कम हो सकता है। एक विदेशी कस्टोडियन ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, 'एफपीआई के लिए धन की देनदारी पूरी करना मुश्किल काम होगा और कम से कम निवेशकों के बदले नियमों के मुताबिक खुद को ढालने तक वैश्विक सूचकांकों में भारत के भारांश में कमी आने के आसार हैं।' वैश्विक सूचकांक प्रदाता एमएससीआई ने पहले भी भारत और चार अन्य उभरते बाजारों को प्रतिबंधात्मक नीतियों को लेकर चेताया था। इसने दोहराया था कि विदेशी निवेश में अवरोध पैदा करने के किसी भी कदम से उन्हें डाउनग्रेड किया जा सकता है। एमएससीआई ने जून में एक नोट में कहा था, 'दुनिया के किसी भी बाजार में अगर कोई एक्सचेंज निवेश योजनाओं की उपलब्धता सीमित करने और इसके नतीजतन इक्विटी बाजार में पहुंच को लेकर गैर-प्रतिस्पर्धी नीति अपनाता है तो उस बाजार के वर्गीकरण को डाउनग्रेड किया जा सकता है।'
