वित्तीय संकट से जूझ रहे दूरसंचार क्षेत्र को राहत देने के मकसद से केंद्र सरकार कंपनियों को इनविट और रीट के जरिये अपनी संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। कंपनियां रीट और इनविट के जरिये विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकती हैं तथा ऐसे निवेश पर सरकार की ओर से भरोसा दिया जा सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज को मंजूरी दे सकता है। समझा जाता है कि दूरसंचार विभाग दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को वैश्विक निवेशक आकर्षित करने के लिए सुविधा पत्र मुहैया कराने के विकल्प पर कई बार चर्चा कर चुका है। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'दूरसंचार टावरों को रियल एस्टेट या बुनियादी ढांचा संपत्तियों की तरह माना जा सकता है। ऐसे में दूरसंचार कंपनियां इनविट और रीट के जरिये पूंजी जुटा सकती हैं। सुविधा पत्र निवेशकों के लिए भरोसे की तरह होगा कि कंपनी में उनका पैसा सुरक्षित है।' अगर इस कदम को मंजूरी मिलती है तो संकटग्रस्त वोडाफोन आइडिया सहित सभी दूरसंचार फर्मों को इसका लाभ मिल सकता है। इस तरह का पत्र भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल)और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) को जारी किया गया था ताकि वे बैंकों से कर्ज जुटा सकें। उक्त अधिकारी ने कहा, 'संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए सुविधा पत्र दूरसंचार विभाग द्वारा जारी किए जा सकते हैं।' वोडाफोन आइडिया की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस कवायद पर व्यापक चर्चा हुई है। मुद्रीकरण प्रस्ताव के अलावा दूरसंचार क्षेत्र को राहत देने के कई अन्य उपायों पर भी विचार किया जा रहा है। इनमें शुल्क के भुगतान की समयसीमा में ढील देने का प्रस्ताव भी शामिल है। दूरसंचार फर्में सरकार को तिमाही में एक बार लाइसेंस शुल्क देती हैं मगर दूरसंचार विभाग अब साल में एक बार इक_ïे भुगतान की इजाजत दे सकता है। इससे कर्ज के बोझ तले दबी कंपनियों को आने वाली तिमाहियों में कुछ राहत मिल सकती है। इसके अलावा स्पेक्ट्रम संबंधित किस्तों के भुगतान को भी टालने का निर्णय लिया जा सकता है। सरकार यह भी चाहती है कि प्रवर्तक कंपनियां वोडा आइडिया में पूंजी निवेश करे, जिससे ऋणदाताओं को भरोसा मिलेगा कि प्रवर्तक कंपनी चलाने में दिलचस्पी रखते हैं। सरकार हमेशा से कहती रही है कि दूरसंचार क्षेत्र में दो कंपनियों का वर्चस्व नहीं होना चाहिए और किसी एक कंपनी को राहत नहीं मिलनी चाहिए। कुछ साल पहले तक भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में कई कंपनियां थीं और विदेशी दूरसंचार कंपनियों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के बाद धीरे-धीरे ज्यादातर कंपनियों ने अपना कारोबार समेट लिया। फिलहाल दूरसंचार उद्योग में तीन निजी कंपनियां- रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया हैं। वोडाफोन आइडिया की स्थिति खराब है लेकिन प्रतिस्पर्धी कंपनी भारती एयरटेल भी राहत के पक्ष में है। एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने हाल ही में कहा था कि तीन कंपनियां होने से ग्राहकों को भी इसका लाभ मिलेगा।
