बिलडेस्क का अधिग्रहण करने वाली पेयू भारत में डिजिटल भुगतान वाली सबसे बड़ी बी2बी कंपनी बन गई है। पेयू के भारत प्रमुख अनिर्वाण मुखर्जी ने शिवानी शिंदे के साथ बातचीत में कहा कि इस अधिग्रहण से कंपनी को विस्तार एवं तेजी दोनों मिलेगी। पेश हैं संपादित अंश: बिलडेस्क का अधिग्रहण कैसे हुआ? क्या पेयू लंबे समय से किसी साझेदार की तलाश में लगी थी? हमने बिलडेस्क के संस्थापकों से कुछ महीने पहले संपर्क साधा था और उनकी बिक्री की मंशा भी नहीं थी। लेकिन वे आईपीओ लाने या फंड जुटाने के दूसरे तरीकों के बारे में जरूर सोच रहे थे। हमने उसी समय उनसे संपर्क किया। पेयू एवं बिलडेस्क के विलय के बाद बनने वाली कंपनी का खाका क्या होगा? पहला काम तो इस सौदे को मुकाम तक पहुंचाना है जिसके लिए नियामकीय मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद हम संस्थापकों के साथ मिलकर ब्योरे पर काम करेंगे। लेकिन हमें यह पता है कि दोनों पक्षों के बीच तालमेल कहां हो सकता है। मसलन, उनकी सरकारी एवं वित्तीय सेवाओं में बिल भुगतान में महारत है जबकि हमारा जोर मुख्य रूप से ई-कॉमर्स एवं एमएसएमई पर रहा है। कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां उनके उत्पाद हमारे उपभोक्ताओं पर लागू होते हैं और हमारे उत्पाद उनके काम आ सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, लेजीपे उनके चेकआउट पेज पर जा सकता है। मुझे लगता है कि इतना बड़ा फलक एक अलग ही तरह के नवाचार और बाजार पहुंच को रफ्तार दे सकता है। आपका एक साथ नवाचार से क्या आशय है? पहला, भुगतान प्रणालियों में इससे एक अगुआ का जन्म होता है जिसे बाजार के सभी प्रमुख वर्गों में नेतृत्व की स्थिति हासिल है। इससे हम दी जाने वाली पेशकश को साथ जोड़ सकते हैं और तेजी से बढ़ सकते हैं। फिर हम बेहतर उत्पाद देने के साथ छोटे मर्चेंट का तीव्र अधिग्रहण भी कर पाएंगे। दूसरा, हम भारत के डिजिटल भुगतान वर्ग में अगुआ बनना चाहते हैं और डिजिटल क्रेडिट में भी अहम स्थान बनाना चाहते हैं। लेजीपे के जरिये हम इस राह पर आगे भी बढ़ते रहेंगे। तीसरा, फिनटेक परिवेश में हम अधिक निवेश लाने के अलावा उद्यमियों के साथ काम भी करना चाहते हैं। अकाउंट एग्रीगेटर (एए) व्यवस्था लागू होने से पेयू की रणनीति अब क्या होगी? एए व्यवस्था के उपभोक्ता एवं मर्चेंट अपना डेटा लेकर उसका इस्तेमाल बेहतर कर्ज लेने में कर सकते हैं। यह मुक्त बैंकिंग की दिशा में उठाया जाने वाला शुरुआती कदम है। हम इसमें अपनी भूमिका को अभी परख रहे हैं। निश्चित रूप से हम एक उपभोक्ता होंगे लेकिन हमें यह देखना होगा कि क्या हमें कुछ और करना चाहिए?
