उत्तर प्रदेश में बनने वाले ई-रिक्शा अब देश ही नहीं, बल्कि युगांडा और नेपाल की सड़कों पर भी दौड़ेंगे। प्रदेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के नोएडा में बन रही पहली इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी में अपनी इकाई लगाने के लिए 50 उद्यमी आगे आए हैं। यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने इन कारोबारियों को सेक्टर-28 में 100 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है। यीडा के सेक्टर-28 में इस जमीन को इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी (ईवी सिटी) के रूप में विकसित किया जाएगा। इस ईवी सिटी में जल्दी ही ई-रिक्शा बनाने वाली कंपनी तथा उनसे जुडी बैटरी एवं विनिर्माण कंपनियों को जमीन आवंटित की जाएगी, ताकि जल्द से जल्द प्रदेश की पहली नियोजित ईवी सिटी में ई-रिक्शा का निर्माण शुरू हो। अधिकारियों का दावा है कि जल्दी ही इस ईवी सिटी में बने ई-रिक्शा देश में और युगांडा तथा नेपाल की सड़कों पर चलते हुए दिखेंगे, क्योंकि युगांडा एवं नेपाल को ई-रिक्शा भेजने वाली कंपनी ने भी ईवी सिटी में अपनी फैक्टरी लगाने में रुचि दिखाई है।गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण नीति ने दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में ई-रिक्शा बना रहे कारोबारियों को लुभाया है। जिसके चलते उक्त राज्यों में ई-रिक्शा बनाकर उन्हें देश भर में बेचने वाले 50 बड़े कारोबारियों ने अब उत्तर प्रदेश में अपनी फैक्टरी लगाने का फैसला किया है। इनमें यात्री, बाहुबली, सारथी, एवन साइकिल, विक्ट्री, ठुकराल, सिटीलाइफ, मयूरी, उड़ान, गोयनका, सार्थक ब्रांड का ई रिक्शा बनाने वाले उद्यमी तथा बैटरी बनाने वाली कंपनी इस्टमैन एवं ट्रोटेक और विनिर्माण कारोबार से जुडी कंपनी टीएनआर, सीवाई गोल्ड एवं नान्या से यमुना प्राधिकरण ने संगठन से जुड़े उद्यमियों से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी है। बाहुबली कंपनी का ई-रिक्शा युगांडा और नेपाल की सड़कों पर चलाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि देश में ई-रिक्शा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अभी करीब 20 लाख ई-रिक्शा देश की सड़कों पर हैं। वर्ष 2015 से ई-रिक्शा की बिक्री सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इस बिक्री में ज्यादातर हिस्सेदारी छोटी कंपनियों की है। काइनेटिक, हीरो इलेक्ट्रिक और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी बड़ी आटो कंपनियां भी तेजी से बढ़ रहे ई-रिक्शा बाजार में दाखिल हुई हैं। इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर में कार्यरत चार दर्जन से अधिक ई रिक्शा बनाने की कंपनियां है, ये कंपनियां हर महीने देश में करीब 15 हजार ई-रिक्शा बनाती हैं। ई-रिक्शा बनाने वाली अधिकांश कंपनियां दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में हैं।अधिकारियों के अनुसार, सरकार की सहमति से बीते दिनों यमुना प्राधिकरण ने एसोसिएशन को ईवी सिटी विकसित करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। सरकार की बनाई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के तहत इलेक्ट्रिक सिटी में आने वाली औद्योगिक इकाइयों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल सिटी में उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को 50 फीसदी ब्याज में छूट 7 साल तक मिलेगी। इसके अलावा रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट पर 5 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। इलेक्ट्रिक ड्यूटी 10 साल के लिए माफ होगी। स्टेट जीएसटी में 10 साल तक 90 प्रतिशत की छूट मिलेगी। 200 कर्मचारियों तक पीएफ में सरकार सहयोग करेगी। स्टांप शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी। अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति के प्रभावी होने से प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 50 हजार रोजगार की उम्मीद है। नीति के तहत एंकर यूनिट को खास प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मेगा बैटरी यूनिट के लिए जमीन की खरीद में छूट दी जा रही है। वर्ष 2024 तक 70 प्रतिशत सार्वजनिक वाहनों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य है। दो लाख चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने हैं। चार्जिंग स्टेशनों के लिए निजी निवेशकों को भी भारी छूट दी जाएगी। एक स्टेशन के निर्माण में करीब 25 लाख रुपये का खर्च है। जमीन को छोड़कर 25 फीसदी या 6 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। दो पहिया वाहनों पर 10,000, तिपहिया पर 20,000 और बड़े वाहनों पर 40 फीसदी तक अनुदान मिलेगा। इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी नि:शुल्क होगा और रोड टैक्स में 25 फीसदी की छूट मिलेगी।
