वाहन क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन फिलहाल अच्छा होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि इस क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियों को कई मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें सेमीकंडक्टर की कमी, बढ़ती इनपुट लागत और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) से बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दे शामिल हैं। हालांकि शेयरों का मूल्यांकन अब आकर्षक हो गया है लेकिन निवेशक अभी ऑटो शेयरों से परहेज कर सकते हैं। आईडीबीआई कैपिटल के रिसर्च के प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, 'ऑटो क्षेत्र को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है मसलन कच्चे माल की ऊंची कीमतें और चिप की कमी। पारंपरिक चार पहिया वाहनों और दोपहिया वाहनों की श्रेणी में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सेगमेंट से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि मूल्यांकन बेहतर है लेकिन ऑटो शेयरों पर दबाव बना रहेगा। उनकी रिकवरी की राह अभी काफी लंबी है।'जैफरीज के विश्लेषकों के अनुसार, जमीनी स्तर पर चिप की कमी की वजह से पहले से ही देश के वाहन निर्माण उद्योग और मारुति, बजाज ऑटो और रॉयल एनफील्ड जैसी कंपनियों के सामने मुश्किलें खड़ी होने लगी थी जिसका असर सितंबर की तिमाही में भी देखा गया। उदाहरण के तौर पर मारुति सुजुकी को उम्मीद है कि चिप की कमी के कारण कंपनी के हरियाणा और गुजरात के संयंत्रों में सितंबर में वाहन उत्पादन में 60 प्रतिशत की कमी आई है। कच्चे माल की लागत भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ी समस्या रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय स्टील की कीमत 67,500 रुपये प्रति टन के साथ अब तक के उच्च स्तर पर है जो जून तिमाही के औसत से 5 प्रतिशत अधिक है। अल्युमिनियम की हाजिर कीमत भी 2,674 डॉलर प्रति टन के स्तर पर है जो जून तिमाही के औसत से 12 फीसदी ज्यादा है।लागत में वृद्धि का मुकाबला करने के लिए, मारुति सितंबर से सभी खंडों की कीमतों में वृद्धि कर रही है और इस तरह इस साल यह चौथी वृद्धि होगी। हालांकि पिछले तीन चरण में कीमतों में वृद्धि कम थी लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि सितंबर में इसमें काफी तेजी आएगी क्योंकि स्टील, अल्युमिनियम और तांबे जैसे कच्चे माल की कीमतों में काफी वृद्धि देखने को मिली है। जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषकों के अनुसार, चार पहिया वाहन श्रेणी के अलावा, दो पहिया वाहनों की मांग भी जिंसों से संबंधित कीमतों में वृद्धि, ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी, कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण खर्च करने योग्य आमदनी पर असर से काफी प्रभावित हुई है क्योंकि कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए उपभोक्ता काफी सतर्कता भरा रुख अपना रहे हैं। जेएम फाइनैंशियल के विवेक कुमार और नितिन अग्रवाल ने हाल ही में एक रिपोर्ट में लिखा, 'पूछताछ का स्तर भी सामान्य से काफी कम है। खरीदारों के आने की तादाद भी कम हो रही है क्योंकि ज्यादातर पूछताछ ऑनलाइन ही की जा रही है। ऐसी बातें सामने आई हैं कि कई ग्राहकों ने मौजूदा ओईएम/ओला इलेक्ट्रिक के ईवी उत्पादों के लॉन्च के उम्मीद में खरीद का फैसला टाला है।' एसीई इक्विटी डेटा के मुताबिक सेक्टर सूचकांक में निफ्टी ऑटो इंडेक्स का प्रदर्शन वित्त वर्ष 2022 में सबसे खराब रहा है और निफ्टी 50 इंडेक्स में 16 फीसदी बढ़ोतरी के मुकाबले इसमें महज 1.8 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।
