भारत की सबसे बड़ी सूचीबद्घ कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज करीब एक साल के कमजोर प्रदर्शन के बाद फिर से दलाल पथ पर बाजार तेजी की अग्रणी बन गई है। यह शेयर शुक्रवार को सूचकांक में शानदार प्रदर्शन वाला रहा और दिन के आखिर में 4.1 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ, जबकि बीएसई के सेंसेक्स में करीब आधा प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई थी। शुक्रवार की तेजी के साथ सितंबर महीने के पहले तीन कारोबारी सत्रों में यह शेयर 5.7 प्रतिशत तक चढ़ चुका है, जबकि इस अवधि में प्रमुख सूचकांक में एक प्रतिशत तेजी आई। कंपनी का शेयर भाव अब इस साल जुलाई के अंत से 17.3 प्रतिशत तक चढ़ चुका है और उसने समान अवधि में सूचकांक (10.5 प्रतिशत तेजी) को मात दी है।शेयर शुक्रवार को 2,388 रुपये प्रति शेयर की नई सर्वाधिक ऊंचाई पर बंद हुआ, जबकि इस साल उसने 29 जनवरी को 1,830 रुपये का 52 सप्ताह का निचला स्तर दर्ज किया था। तुलनात्मक तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने करीब एक साल से तेजी में भागीदारी नहीं की थी। कंपनी का शेयर भाव जुलाई 2020 से जुलाई 2021 के बीच 1,950 रुपये से 2,020 रुपये के सीमित दायरे में बना रहा। समान अवधि में प्रमुख सेंसेक्स में 40 प्रतिशत तक की तेजी आई, क्योंकि उसे धातु और टेक्नोलॉजी शेयरों में आई मजबूती से मदद मिली। कई विश्लेषकों का मानना है कि रिलायंस में ताजा तेजी कुछ सप्ताह तक बरकरार रहने की संभावना है, क्योंकि कंपनी सितंबर 2021 की तिमाही में अच्छी आय वृद्घि दर्ज करेगी।इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम का कहना है, 'कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में ताजा व्यवधान से आगामी तिमाही में आरआईएल के कच्चे तेल रिफाइनिंग और पेट्रो रसायन व्यवसाय के सकल मार्जिन और मुनाफे में सुधार आने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप, हमें उम्मीद है कि कंपनी दूसरी तिमाही में आय में अच्छी तेजी दर्ज करेगी।' इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी सर्विसेज ने इस शेयर के लिए 2,500 रुपये का कीमत लक्ष्य दिया है। जहां कंपनी ने रिटेल एवं दूरसंचार में भारी निवेश कर पिछले कुछ वर्षों में अपने राजस्व और मुनाफे में विविधता लाने पर जोर दिया है, वहीं तेल रिफाइनिंग और पेट्रो रसायन व्यवसाय का अब उसकी आय में बड़ा योगदान बना हुआ है।कंपनी का तेल रिफाइनिंग एवं पेट्रो रसायन व्यवसाय का आरआईएल के समेकित ब्याज एवं कर पूर्व लाभ (पीबीआईटी) में करीब 55 प्रतिशत का योगदान है। यह वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में करीब 19,000 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही के 49.6 प्रतिशत योगदान से ज्यादा है। कोविड-19 महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन के बाद कंपनी के रिटेल खंड द्वारा भी वित्त वर्ष 2022 के शेष 9 की महीनों में बेहतर प्रदर्शन किए जाने की संभावना है। कंपनी के ओ2सी और संगठित रिटेल व्यवसायों द्वारा अच्छी आय वृद्घि से वित्त वर्ष 2022 में पूंजी पर प्रतिफल (आरओई) और निवेशित पूंजी पर प्रतिफल (आरओसीई) जैसे मुख्य लाभ में तेजी आने की संभावना है। समेकित आधार पर कंपनी का आरओसीई वित्त वर्ष 2021 में घटकर 7.8 प्रतिशत रह गया, जो पिछले तीन दशकों में उसका सबसे निचला स्तर था। पूर्ववर्ती निचला स्तर वित्त वर्ष 2015 में 9.5 प्रतिशत था। कैपिटालाइन डेटाबेस के आंकड़े के अनुसार, इसी तरह पिछले वित्त वर्ष कंपनी का आरओएनडब्ल्यू घटकर 8.4 प्रतिशत रह गया। विश्लेषकों के अनुसार, आरओई और आरओसीई में संभावित सुधार एक महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव है और इसका असर कंपनी के ऊंचे मूल्यांकन अनुपात के तौर पर देखा जा सकता है।अन्य विश्लेषकों का कहना है कि निवेशक सौर और हाइड्रोजन जैसे ग्रीन ऊर्जा में कंपनी के संभावित प्रवेश से आय वृद्घि पर दांव लगा रहे हैं। नारनोलिया सिक्योरिटीज के सीआईओ शैलेंद्र कुमार का कहना है, 'बाजार में यह माना जा रहा है कि ग्रीन एनर्जी में प्रस्तावित विविधीकरण से अगले तीन वर्षों में रिलायंस की समेकित आय में योगदान दिखना शुरू हो जाएगा।' इस साल जून में कंपनी की सालाना आम बैठक में बोलते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवर्तक एवं चेयरमैन मुकेश अंबानी ने सौर ऊर्जा में करीब 75,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी, जिसमें भारत में सोलर फोटोवोल्टेक पैनलों के निर्माण की भी योजना शामिल है। अंबानी ने 5जी मोबाइल टेक्नोलॉजी में प्रवेश करने और इस साल दीवाली तक 4जी आधारित नया किफायती स्मार्टफोन पेश किए जाने की भी घोषणा की थी। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि रिलायंस के शेयर का प्रदर्शन प्रमुख बाजार में उतार-चढ़ाव पर आधारित है।
