बिजली संयंत्रों को ज्यादा कोयला मुहैया कराने के लिए, जिन्होंने कोई बिजली खरीद समझौता नहीं किया है, केंद्रीय बिजली मंत्रालय शक्ति योजना के दिशानिर्देशों में बदलाव के लिए सहमत हो गया है। शक्ति- या स्कीम फॉर हार्नेसिंग ऐंड एलोकेटिंग कोयला ट्रांसपेरेंसी इन इंडिया की शुरुआत 2018 में की गई थी, जिससे दबाव वाली बिजली इकाइयों को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके, जो कोयले के संकट से जूझ रही हैं। निजी बिजली कंपनियों के संगठन एसोसिएशन आफ पावर प्रोड्यूसर्स के साथ बैठक में बिजली मंत्रालय नीलामी के लिए 3 महीने, 6 महीने और एक साल के अलग विंडो के लिए सहमत हो गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, 'लंबी अवधि के लिए कोयला उपलब्ध कराने के लिए एमओपी यह देखेगा कि क्या नीलामी की अवधि एक साल से ज्यादा के लिए बढ़ाई जा सकती है। बैंक गारंटी के मसले की भी जांच होगी, अगर अवधि 1 साल से ऊपर के लिए बढ़ाई जाती है।' पिछले 2 साल में आयोजित इसके पहले के दो दौर में करीब 9,389 मेगावॉट बिजली क्षमता के लिए शक्ति के तहत कोयला दिया गया है। फरवरी में अंतिम दौर के दौरान निजी बिजली कारोबारियों ने आरोप लगाए थे कि कोल इंडिया उनकी जरूरत से कम कोयला दे रही है। मध्यावधि पीपीए की बोली के दौर में जिन संपत्तियों के पास बिक्री समझौता नहीं है, 6 परियोजनाओं में 4 राज्यों द्वारा बिजली की खरीद में रुचि दिखाई गई है।
