केंद्र सरकार ऐसा मॉडल अपना सकती है, जिसमें सड़क मुद्रीकरण परियोजनाओं में एंकर निवेशकों को 25 फीसदी हिस्सेदारी रखनी होगी और परियोजना को चलाने के लिए बनाई जाने वाली विशेष उद्देश्यीय इकाई (एसपीवी) के प्रबंधन बोर्ड में शामिल रहना होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने यह प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इन दोनों से कुछ निवेशकों ने संपर्क कर कहा था कि संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए बनाई जाने वाली एसपीवी में उन्हें एक बोर्ड सीट दी जानी चाहिए। सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'वे एक बोर्ड सीट चाहते थे, इसलिए अगर वे अपने साथ 25 फीसदी इक्विटी लाते हैं तो हमें उससे कोई समस्या नहीं है।' कनाडाई पेंशन फंड, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी जैसे वैश्विक निवेशकों और नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) ने भी भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में रुचि दिखाई है। ट्रांसपोर्ट ऐंड लॉजिस्टिक्स में निदेशक एवं प्रैक्टिस लीडर जगन्नारायण पद््मनाभन ने कहा, 'यह प्रस्ताव अपने आप में अजीब नहीं हो सकता। उदार पहलुओं जैसे निष्पक्षता एवं सभी निवेशकों की पहुंच को बनाए रखना, मूल निवेशकों की निर्धारित सीमा पर अपने निवेश को बनाए रखने की क्षमता ऐसे पहलू हैं, जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए।' हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने चेताया है कि यह प्रस्ताव केवल सार्वजनिक वित्त पोषित बुनियादी ढांचा निवेश न्यास (इनविट) में ही लागू किया जा सकता है, टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) या निजी इनविट में नहीं। शायह इस नई शर्त को इनविट मॉडल को ध्यान में रखते हुए ही मंजूरी दी गई है, लेकिन एनएचएआई अभी तक अपनी पहली ऐसी पेशकश लेकर नहीं आया है। प्राधिकरण ने इनविट मॉडल के तहत 19 परियोजनाओं की पेशकश की योजना बनाई है, जो 35,000 करोड़ रुपये की हैं। इनविट अगले तीन से पांच साल में सड़कों के मुद्रीकरण का प्लेटफॉर्म है। इनविट के लिए चयनित शुरुआती सड़क परियोजनाएं बेहतर संभावनाएं मुहैया कराती हैं क्योंकि वे राष्ट्रीय कॉरिडोर का हिस्सा हैं। इनविट मॉडल के तहत संपत्तियों को एक इनविट में शामिल किया जाता है, जिसमें निवेशक पैसा लगाते हैं और ऐसी संपत्तियों से पैदा होने वाली आमदनी का लाभांश के रूप में भुगतान किया जाता है।
