पंद्रहवें वित्त आयोग ने नल जल आपूर्ति को बढ़ावा देने और गांवों में बेहतर स्वच्छता की खातिर अगले पांच वर्षों (2021-22 से 2025-26) के लिए स्थानीय ग्रामीण निकायों और पंचायतों को 1.42 लाख करोड़ रुपये का सशर्त अनुदान देने की सिफारिश की है। यह सशर्त अनुदान ग्रामीण स्थानीय निकायों को आवंटित 2.37 लाख करोड़ रुपये की रकम का 60 फीसदी है जिसका इस्तेमाल पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने, वर्षा जल संचयन और जल पुर्नचक्रण के लिए किया जाना है। साथ ही इस रकम का उपयोग स्वच्छता और गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाए रखने के लिए किया जाना है। जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग जल और स्वच्छता के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग के सशर्त अनुदान के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों की पात्रता के निर्धारण के लिए नोडल विभाग होगा और उसने वित्त मंत्रालय को फंड जारी करने की सिफारिश की है। विभाग ने 25 राज्यों को पहली किस्त जारी करने की सिफारिश की है। जल शक्ति मंत्रालय ने कहा है कि इस कोष की मदद से ग्रामीण पंचायतों को स्थानीय सार्वजनिक उपयोगिताओं के तौर पर कार्य करने में मदद मिलेगी जिसमें जोर सेवा की डिलिवरी पर होगा। केंद्र और राज्यों के बजटीय समर्थन के साथ ताजे आवंटन से इस साल गांवों में नल जल आपूर्ति के लिए प्रावधान करने के लिए जल जीवन मिशन के पास 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम उपलब्ध है। सरकार पंचायत के पदाधिकारियों को गांवों में नल जल की आपूर्ति और बेहतर स्वच्छता को सुनिश्चित करने की खातिर इस कोष का उपयोग करने के प्रति गंभीर बनाने, प्रशिक्षित और सशक्त करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाने पर भी विचार कर रही है। मंत्रालय ने इन निधियों के उपयोग के लिए एक नियमावली तैयार कर राज्यों के साथ साझा किया है जिसे राज्य आगे स्थानीय भाषाओं में अपने पंचायतों को उपलब्ध कराएंगे।प्रत्येक ग्रामीण परिवार तक नल जल की आपूर्ति के लिए व्यवस्था बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ साझेदारी कर जल जीवन मिशन को 3.6 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अगस्त 2019 से लागू किया जा रहा है। सरकार ने सुनिश्चित जल आपूर्ति, सुधरी हुई स्वच्छता और साफ सफाई को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षण देने और क्षमता निर्माण के लिए 84 संस्थानों को प्रमुख संसाधन केंद्रों के तौर पर चयनित किया है। जल शक्ति मंत्रालय ने कहा, 'राज्यों को नोडल विभागों की पहचान करने और पंद्रहवें वित्त आयोग की अवधि के दौरान जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक एक प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।' राज्यों को परिवारों से सेवा शुल्कों की वसूली के लिए एक मजबूत परिचालन और रखरखाव नीति तैयार करने के लिए कहा गया है। इससे उन्हें लंबे वक्त तक ग्रामीण जल आपूर्ति और गांवों में स्वच्छा सेवा तथा सुनिश्चित सेवा आपूर्ति पर होने वाले बार बार के खर्च को पूरा करने में मदद मिलेगी। इसके लिए हरेक गांव को पंचवर्षीय कार्ययोजना तैयार करनी होगी जिसकी अवधि पंद्रहवें वित्त आयोग की अवधि के बराबर होगी। इस योजना में पेयजल स्रोत का सुदृढ़ीकरण, जल आपूर्ति, ग्रेवाटर उपचार और उसका दोबारा उपयोग, परिचालन और रखरखाव, ठोस और तरल अपशिष्टï प्रबंधन सहित अन्य घटक होंगे। ये ग्रामीण कार्ययोजनाएं ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का हिस्सा होंगी।
