वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार आर्थिक पुनरुद्धार को पर्याप्त समर्थन सुनिश्चित करने के लिए सभी क्षेत्रों के हिस्सेदारों से लगातार संपर्क में है। सरकार की ऋण गारंटी योजना के बारे में स्वास्थ्य क्षेत्र को जागरूक करने के लिए आयोजित एक वेबिनॉर में सीतारमण ने कहा, 'कई अन्य वजहों से अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए कुछ विशेष तरह के समर्थन की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र, जिसका कोविड के व्यापक प्रसार के दौर में बेहतर प्रदर्शन था, को समर्थन की जरूरत है, जिससे इस क्षेत्र की क्षमता बढ़ाई जा सके और इस क्षेत्र में बेहतर तकनीक व सुविधाएं लाई जा सकें। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधन की भी जरूरत है। सरकार जानती है कि अस्पतालों में अतिरिक्त क्षमता, बेहतर उपकरणों की जरूरत है और वह कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए ढण गारंटी योजना (एलजीसीएएस) के माध्यम से समर्थन कर रही है। इस योजना के तहत बैंक अस्पतालों, क्लीनिकों, डिस्पेंसरी व अनन्य को को 50,000 करोड़ रुपये कर्ज मुहैया कराएंगे। सरकार इस तरह के कर्ज पर 75 प्रतिशत और 50 प्रतिशत गारंटी क्रमश: नई और पुरानी परियोजनाओं में देगी। आकांक्षी जिलों में नई व पुरानी दोनों परियोजनाओं में 75 प्रतिशत गारंटी मिलेगी। इस योजना के तहत एक परियोजना को अधिकतम 100 करोड़ रुपये कर्ज मिल सकेगा। सीतारमण ने कहा, 'लेकिन अस्पतालों में क्षमता बढ़ाने के लिए हम चाहते हैं कि बैंक आगे आएं और उनके साथ खड़े हों, सरकारी गारंटी के साथ पर्याप्त सुविधा दें।' मझोले और छोटे शहरों, कस्बों, निगमों और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है, जो अस्पताल में क्षमता विस्तार के रूप में हो सकता है। लेकिन इस तरह के अस्पतालों में उपकरण नहीं रहने की वजह से उन इलाकों के लोग महानगरों में आते हैं। सीतारमण ने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सहयोग से बैंक सभी गैर महानगर वाले इलाकों में समर्थन मुहैया कराने की कवायद में लगे हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अगर कई संभावित तीसरी लहर आए तो पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकें।
