आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों को अंतरराष्ट्रीय निपटान में सक्षम बनाने और वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में इसे शामिल कराने पर काम कर रहा है ताकि निवेशकों का आधार बढ़े। उन्होंने अपना रुख दोहराते हुए कहा कि सरकारी प्रतिभूति सार्वजनिक चीज है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की विभिन्न प्रतिभूतियों की कीमतें तय करने का बेंचमार्क है। दास ने कहा, सरकार के साथ मिलकर हम सरकारी प्रतिभूतियों का अंतरराष्ट्रीय निपटान इंटरनैशनल सेंट्रल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज के जरिए करने की कोशिश में लगे हुए हैं। उन्होंंने कहा, जब यह परिचालन में आ जाएगा तब यह सरकारी प्रतिभूति के बाजार में अप्रवासी की पहुंच में इजाफा कर देगा और वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में भारतीय प्रतिभूतियों को शामिल कराने की कोशिशें हो रही हैं। फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट ऐंड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया और प्राइमरी डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सालाना बैठक में अपने भाषण में उन्होंने ये बातें कही, जिनकी सालाना बैठक वर्चुअल हुई। गवर्नर दास ने कहा, निवेशकों के आधार में विस्तार इस बाजार के और विकास के लिए अहम है। निवेशकों का आधार बढ़ाने के लिए आरबीआई ने खुदरा निवेशकों के लिए रिटेल डायरेक्ट स्कीम शुरू की है, जो मौजूदा घरेलू बचत को देश की सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर ले जा सकता है। उन्होंने फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट ऐंड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया और प्राइमरी डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया से अनुरोध किया कि वे स्ट्रिप्स सेगमेंट पर और ध्यान दें ताकि ऐसे निवेशकों की बीच इसकी लोकप्रियता बढ़े। आरबीआई गवर्नर ने बैंक ऑफ इंटरनैशनल सेलटमेंट्स के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि इसमें पाया गया है कि भारत में सरकारी प्रतिभूतियों का बाजार ज्यादातर एशियाई बाजारों के मुकाबले काफी बड़ा है और बिड-आस्क स्प्रेड सबसे अच्छा है। दास के मुताबिक, भारतीय प्रतिभूतियों का बाजार वैसे तो अत्याधुनिक है और बाकी से बेहतर भी, लेकिन इसमें और विकास की गुंजाइश है।
