वैश्विक बाजारों में तेजी के साथ घरेलू शेयर बाजार में भी आज शानदार बढ़त देखी गई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के नरम रुख से निवेशकों में जोखिम लेने की भावना को बढ़ावा मिला और डॉलर दो हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया। पॉवेल ने संकेत दिया था कि साल के अंत तक केंद्रीय बैंक बॉन्ड खरीद की मात्रा कम करेगा लेकिन ब्याज दरों में वृद्घि को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं है। इसका दुनिया भर के निवेशकों में सही संकेत गया। सेंसेक्स 765 अंक चढ़कर 56,890 पर बंद हुआ, जो 3 अगस्त के बाद सेंसेक्स में सबसे ज्यादा उछाल है। निफ्टी भी 226 अंकों की बढ़त के साथ 16,931 पर बंद हुआ। बीएसई की सूचीबद्घ फर्मों का बाजार पूंजीकरण भी बढ़कर 247 लाख करोड़ रुपये हो गया।निवेशकों की नजरें पॉवेल के भाषण पर टिकी थीं ताकि उन्हें संकेत मिल सके कि केंद्रीय बैंक प्रोत्साहन कार्यक्रम को कब से वापस लेना शुरू करता है। महामारी के दौरान अमेरिका सहित अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों के नरम रुख के कारण दुनिया भर के बाजारों में अप्रत्यशित तेजी आई है और भारत को पिछले 17 महीने में इसका सबसे ज्यादा लाभ मिला है। फेडरल रिजर्व ने अपनी बैलेंस शीट को बढ़ाकर करीब 8.4 लाख करोड़ डॉलर कर दिया है, जो मार्च 2020 से करीब दोगुना है। हालांकि बॉन्ड खरीद को घटाने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं दिए जाने से अमेरिकी ट्रेजरी का प्रतिफल घटकर करीब 1.3 फीसदी रह गया।केयर रेटिंग्स ने अपने नोट में कहा है, 'बॉन्ड खरीद कम करने की घोषणा की गई है लेकिन दरों में वृद्घि फिलहाल नहीं होगी। ऐसे में अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार आने तक संभव है कि नरम रुख बना रहेगा।' अगस्त में सेंसेक्स करीब 8 फीसदी बढ़ चुका है, जिसने भारत को सभी प्रमुख बाजारों में सर्वश्रेष्ठï प्रदर्शन करने वाला बाजार बनाया है।विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के साथ ही घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी आज शुद्घ लिवाली की। विदेशी निवेशकों ने 1,203 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और घरेलू निवेशकों ने 689 करोड़ रुपये की लिवाली की। यूएसबी सिक्योरिटीज में इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट सुनील तिरुमलाई ने कहा, 'जून 2021 तक पिछले 12 महीनों में विदेशी निवेश का मजबूत प्रवाह देखा गया। लेकिन इस तिमाही में एफपीआई निवेश की रफ्तार थोड़ी कम हुई। हालांकि इस दौरान घरेलू निवेश ने बाजार को खूब सहारा दिया।'
