अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों पर नजर रखने वाले इंडेक्स फंड और ईटीएफ जैसे पैसिव फंडों में भले ही नरमी रही हो, लेकिन विदेशी शेयरों में निवेश वाले ऐक्टिव फंड पिछले कुछ वर्षों से सकारात्मक रिटर्न देते आ रहे हैं। पराग पारिख फ्लेक्सीकैप फंड ने पिछले साल से अब तक 49.23 फीसदी रिटर्न दिया है और सात वर्षों में इससे करीब 19.06 फीसदी रिटर्न मिला है। यह जानकारी वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से मिली। यह फंड 35 फीसदी तक विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकता है और अल्फाबेट इंक, माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन और फेसबुक आदि जैसे शेयरों की खरीद कर सकता है। पीपीएफएएस एमएफ के चेयरमैन व मुख्य कार्याधिकारी नील पराग पारिख ने कहा, हम निवेश के लिए बड़ी वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर नजर डालते हैं। वैसी कंपनियां जो किसी एक इलाके में परिचालन नहीं करती। उनका कारोबार वैश्विक स्तर पर फैला होता है और वह पूरी दुनिया से फायदा उठाती है। यह सुनिश्चित करता है कि हमने वास्तव में वैश्विक स्तर पर विशाखित किया है।अंतरराष्ट्रीय आवंटन से निवेशकों को मशहूर वैश्विक कंपनियों में भागीदारी का मौका मिलता है। यहां तक कि विशाखन से किसी देश विशेष का जोखिम काफी घट जाता है और पोर्टफोलियो में होने वाला उतारचढ़ाव घटाता है। एक अन्य फंड ऐक्सिस ग्रोथ ऑपरच्युनिटीज फंड ने भी पिछले साल से 58.15 फीसदी का मजबूत रिटर्न सृजित किया है। अक्टूबर 2018 में पेशकश के बाद से इस फंड ने 29.06 फीसदी रिटर्न दिया है। ऐक्सिस म्युचुअल फंड के इक्विटी प्रमुख जिनेश गोपानी ने कहा, अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूतियों के मिश्रण का मकसद निवेशकों को दोनों तरह के अवसर में हिस्सेदारी दिलाने का है। मकसद है एकल देसी या अंतरराष्ट्रीय फंडों के मुकाबले लंबी अवधि में कम उतारचढ़ाव के साथ अच्छा रिटर्न और जोखिम प्रोफाइल में कमी लाना।ऐक्सिस ग्रोथ ऑपरच्युनिटीज फंड लार्ज व मिडकैप रणनीति है, जो उच्च बढ़त वाली कंपनियों पर निशाना साधता है जो निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय विशाखन का मौका भी दे। अपने वैश्विक साझेदार श्रोएडर्स संग विकसित व प्रबंधन के साथ अंतरराष्ट्रीय आवंटन का लक्ष्य वैश्विक प्रतिस्पर्धी कंपनियों में निवेश का है, जिसकी पहचान डेटा रिसर्च के जरिए होती है। इस कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से विभिन्न फंड हाउस ने अंतरराष्ट्रीय फोकस वाले 10 पैसिव फंड पेश किए हैं। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फंडों के जरिए इस साल अब तक 4,753 करोड़ रुपये का संग्रह किया है। मांग हालांकि पैसिव फंडों की ओर ज्यादातर है, जो मार्केट से जुड़ाव वाला रिटर्न दे सकता है, लेकिन ऐक्टिवफंडों के पास लंबी अवधि में ऊंचा रिटर्न देने की क्षमता है।
