उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय ई-कॉमर्स क्षेत्र के नियम कड़े करने के लिए इनमें संशोधन से पहले गंभीरतापूर्वक विचार करेगा और केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभागों, उद्योग तथा जनता जैसे भागीदारों की राय पर गौर करेगा। हाल में ई-कॉमर्स नियमों में संशोधन के प्रस्ताव की न केवल ई-कॉमर्स उद्यमियों बल्कि विभिन्न सरकारी विभागों ने भी आलोचना की। उन्होंने इसे लेकर चिंता जताई और सरकार को उन खंडों को बाहर रखने का सुझाव दिया जो उपभोक्ता संरक्षण के दायरे में नहीं आते हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों, उद्योग संगठनों ने भी सरकार से आग्रह किया था कि ई-कॉमर्स प्रारूप नियमों पर पुनर्विचार की जरूरत है। उन्होंने चिंता जताई कि नियमों में प्रस्तावित बदलावों का उनके कारोबारी मॉडलों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि विभिन्न भागीदारों की राय जानने की योजना है, जो इस समय चल रही प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। इस अधिकारी ने कहा, 'भागीदारों के एक समूह ने बहुत से मुद्दे उठाए हैं। उनमें से हरेक पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है। हर नजरिये पर विचार किया जा रहा है।'जून में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव रखा था और संबंधित भागीदारों से 21 जुलाई तक राय मांगी थी। पिछले महीने सरकार के सार्वजनिक नीति थिंक टैंक नीति आयोग ने भी ई-कॉमर्स पर उपभोक्ता संरक्षण नियमों में प्रस्तावित बदलावों की आलोचना की थी। इसने कहा था कि इंटरमीडियरी जवाबदेही, डेटा सुरक्षा, प्रतिस्पर्धा आदि से संबंधित प्रावधानों को नियमों में शामिल किया जाना चाहिए। इसने 'फॉलबैक लायबिलिटी' के उपबंध को लेकर भी चिंता जताई थी, जिसमें विक्रेता के बजाय मार्केटप्लेस पर जिम्मेदारी डाली गई है। वित्त मंत्रालय ने कथित रूप से नियमों में प्रस्तावित बदलावों की भी आलोचना की है क्योंकि उसका मानना है कि इससे निवेशकों का रुझान प्रभावित हो सकता है। हालांकि कारोबारियों ने ई-कॉमर्स नियमों में 'दखल' देने को लेकर नीति आयोग की आलोचना की। कारोबारी संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रविवार को कहा कि नीति आयोग ने वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रवक्ता के रूप में काम किया है। कैट ने एक आधिकारिक बयान में कहा, 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रारूप ई-कॉमर्स नियमों पर नीति आयोग के अनावश्यक बयान उन उद्देश्यों के विपरीत हैं, जिनके लिए इस आयोग का गठन किया गया था। आठ करोड़ कारोबारियों के नजरिये से यह (नीति आयोग) हवा-हवाई संस्था है क्योंकि यह अभी तक कारोबारी समुदाय की बेहतरी या डिजिटलीकरण के लिए एक भी अवधारणा या योजना नहीं लेकर आया है।'
