देश की सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियां हजारों की संख्या में इंजीनियरों की नियुक्ति के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों का रुख कर रही हैं। इसकी वजह यह है कि आईटी कंपनियों से कर्मचारियों के नौकरी छोडऩे की दर खासी बढ़ गई है और डिजिटल क्रांति के बाद नए हुनर वाले कर्मचारियों की जरूरत भी पहले की तुलना में बढ़ गई है। आम तौर पर कंपनियां कॉलेजों में छात्रों को सालाना 3.0-3.5 लाख रुपये वेतन की पेशकश करती हैं लेकिन जो कुछ खास हुनर जैसे कोडिंग एवं प्रोगाम लैंग्वेज में माहिर होते हैं उन्हें अधिक रकम मिलती है। आईटी उद्योग जगत के लोगों एव मानव संसाधन (एचआर) विशेषज्ञों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सामान्य कौशल वाले छात्रों को कंपनियां अमूमनन 3.0-3.5 लाख रुपये सालाना वेतन देती हैं मगर कोई छात्र कुछ खास हुनर रखता है तो उसकी मांग बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए कई आईटी सेवा प्रदाता कोडिंग एवं प्रोग्राम लैंग्वेज उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को 6.5 से 8 लाख रुपये तक सालाना वेतन की पेशकश कर रही हैं। टीसीएस ने वेलूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्रोलॉजी (वीआईटी) में मौजूदा सत्र के डिजिटल प्रोफाइल कैटेगरी के 319 छात्रों की भर्ती की है। कंपनी उन्हें 7 लाख रुपये वेतन की पेशकश करेगी। इसी तरह, विप्रो ने वीआईटी से टर्बो हायरिंग प्रोग्राम के तहत 2021 बैच से 419 लोगों की भर्तियां की थीं और इन्हें सालाना 6.5 लाख रुपये वेतन की पेशकश की गई। इन्फोसिस भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में दक्षता और कोडिंग जानने वाले छात्रों की भर्ती करती है। कंपनी ऐसे छात्रों को 8 लाख रुपये तक वेतन की पेशकश करती है। कॉग्निजेंट और कैपजेमिनाई जैसी कंपनियां शुरुआती स्तर पर छात्रों को 6.5 लाख रुपये तक वेतन देती है। करियर डेवलपमेंट सेंटर, वीआईटी में निदेशक डॉ. सैम्यूल राजकुमार कहते हैं, 'उत्पाद कंपनियों या अमेरिका स्थित तकनीकी कंपनियों से इतर आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों ने वेतन दायरा 3.0-3.5 लाख रुपये तय कर रखा है लेकिन वे अत्यधिक संख्या में लोगों की भर्तियां करती हैं। इस वर्ष अब तक जितनी भर्तियों की खबरें आई हैं वह वाकई अधिक हैं इसलिए वेतन भी इसी स्तर पर टिका हुआ है। हालांकि पिछले तीन वर्षों से ये कंपनियां कोडिंग एवं प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इनमें जो छात्र अव्वल आते हैं कंपनियां उन्हें अधिक वेतन देती हैं।' राजकुमार कहते हैं कि कोविड-19 से उत्पन्न हालात के बीच कई छात्रों ने एडब्ल्यूएस, सेल्सफोर्स आदि में सर्टिफि केट कोर्स करने की पहल की है। उन्होंने कहा, 'इन छात्रों ने चूंकि, प्रमाणित पाठ्यक्रम किए हैं इसलिए उन्हें भी सामान्य से कुछ अधिक वेतन मिल सकता है। हालांकि इसका निर्णय साक्षात्कार के समय ही होगा।'नैसकॉम में वरिष्ठï उपाध्यक्ष एवं मुख्य रणनीति अधिकारी संगीता गुप्ता ने कहा, 'चूंकि नए लोगों की भर्तियों की रफ्तार तेज होने में अभी समय लगेगा इसलिए विशिष्टï योग्यता वाले लोगों की नियुक्ति अधिक हो रही है। 2019 सत्र के छात्रों की मांग अधिक है। इसकी वजह यह है कि इन लोगों ने कुछ डिजिटल परियोजनाओं पर काम किया है और उन्हें नए कौशल सिखाने पर कंपनियों को अधिक खर्च नहीं करना पड़ेगा। कंपनियां ऐसे लोगों को दूसरों के मुकाबले अधिक वेतन देंगी। कुछ मामलों में अधिक वेतन वास्तविक हालात से मेल नहीं खाते हैं क्योंकि पिछले 15-15 महीनों में भर्तियों की चाल सुस्त रही है और अब वे अधिक संख्या में कर्मचारियों की भर्ती करना चाहती हैं।' जेनपेक्ट के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) टाइगर त्यागराजन ने कहा कि कंपनियों में समय के साथ आवश्यक नए हुनर की कमी लगभग 20 वर्षों से भी अधिक पुरानी है। उन्होंने कहा, 'हमारे लिए अंदर और बाहर दोनों स्तरों पर कर्मचारियों को नए कौशल से लैस करना अहम है।'कंपनी नए लोगों को क्लाइंट टेक्नोलॉजी, इंटरनल बिजनेस प्रोसेस और कभी-कभी बुनियादी तकनीकी कौशल में भी प्रशिक्षित करती हैं। आईटी कंपनियां चाहती हैं कि छात्र उनके साथ काम शुरू करने से पहले संस्थान में ही नए कौशल सीख लें। एचसीएल टेक्नोलॉजीज में मुख्य मानव सबंध अधिकारी वीवी अप्पराव कहते हैं, 'हम जिन कॉलेजों से लोगों को अपने साथ जोड़ते हैं उनकी संख्या में इजाफा करना चाहते हैं। संस्थान से निकलकर हमारे पास प्रशिक्षण के लिए अतिरिक्त 4-5 महीने बिताने के बजाय हम चाहते हैं वे संस्थान से अपनी पढ़ाई के दौरान ही आवश्यक हुनर सीख लें। 'कैपजेमिनाई इसका एक उदाहरण है। कंपनी को जिस हुनर की जरूरत होती है वह छात्रों को संस्थान में ही उसे सीखने के लिए कहती है। कैमजेमिनाई के भारत में मुख्य कार्याधिकारी आश्विन यार्डी ने कहा, 'हमने अपने कार्यक्रमों को विभिन्न रूपों में शुरू किया है। हमारे साथ जुडऩे से पहले छात्रों को उन पाठ्यक्रमों एवं तकनीक से रूबरू कराया जाता है जिनकी हमें जरूरत है।'टीमलीज डिजटल में उपाध्यक्ष एवं कारोबार प्रमुख (आईटी स्टाफिंग) शिव प्रसाद नंदूरी ने कहा कि अगर कंपनियों को नए डिजिटल हुनर वाले लोगों की जरूरत होती है तो वे चार से पांच वर्ष का अनुभव रखने वाले लोगों की भर्ती कर उन्हें दोबारा जिम्मेदारी सौंपने से पहले उन्हें नए कौशल सिखाते हैं। नंदूरी ने कहा कि संगठन विभिन्न शिक्षा-तकनीक कंपनियां, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों से अनुबंध कर रहे हैं।
