केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की नए वाहनों की भारत शृंखला (बीएच-सीरीज) उन पेशेवरों के लिए लाभदायक होगी, जो नौकरी या दूसरे कारण से शहर बदलते हैं। वाहन मालिकों को सिर्फ अपने निवास वाले राज्य में वाहन पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा, जबकि पंजीकरण संख्या पूरे देश में मान्य होगी। इसके मालिक पंजीकरण शुल्क का भुगतान दो साल के लिए कर सकते हैं और शेष राशि दो के गुणक में बाद के वर्षों में किस्तों में कर सकते हैं। सड़क मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, 'इसके पहले वाहन मालिक को 15 साल के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ता था और अगर उसका स्थानांतरण या उसे दूसरी जगह जाना होता था तो राज्य सरकारें शेष राशि वापस करती थी। इस कठिन कवायद को हम खत्म करना चाहते थे।' आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि बीएच पंजीकरण वाले वाहन धारक को किसी दूसरे राज्य में जाने की स्थिति में नया पंजीकरण नहीं कराना होगा। बीएच सीरीज राज्यों द्वारा जारी किया जाएगा। वे उसी तरह सड़क कर लेना जारी रखेंगे, जैसा वर्षों से करते रहे हैं। मंत्रालय ने पिछले सप्ताह एक बयान में कहा, 'मोबिलिटी की सुविधा देने के लिए वाहन पंजीकरण का सूचना तकनीक आधारित सॉल्यूशन होगा।' यह अधिसूचना केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत आने वाले नियम का हिस्सा है। वाहन मालिक बीएच सीरीज या किसी अन्य राज्य में आवास का का विकल्प वाहन खरीदते समय चुन सकते हैं। सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों के लोगों का स्थानांतरण एक राज्य से दूसरे राज्य में होता है। ऐसी आïवाजाही में कर्मचारियों को एक राज्य से दूसरे राज्य में पंजीकरण के स्थानांतरण की चिंता होती है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 47 के मुताबिक कोई वाहन मालिक वाहन पंजीकरण वाले राज्य के अतिरिक्त किसी दूसरे राज्य में अपना वाहन 12 महीने से ज्यादा नहीं रख सकता है। उसे 12 महीने की तय समयावधि में अपने वाहन का पंजीकरण अपने नए निवास वाले राज्य में कराना होता है। इस समय यात्री वाहन मालिक को वाहन के पुन: पंजीकरण के लिए मूल पंजीकृत राज्य के पंजीकरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। नया पंजीकरण वाहन की शेष समयावधि के लिए कर भुगतान के बाद होता है। वाहन मालिक को मूल राज्य में पंजीकरण की शेष राशि पाने के लिए आवेदन करना पड़ता है।
