वैश्विक लौह अयस्क कीमत में गिरावट का प्रभाव पडऩा बाकी | अदिति दिवेकर / मुंबई August 26, 2021 | | | | |
जिंस के घरेलू बाजार में वैश्विक लौह अयस्क कीमतों में भारी गिरावट पूरी तरह नहीं दिखा है। इस उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई में एनएमडीसी द्वारा अयस्क कीमतों में मामूली गिरावट का सहायक उत्पादों पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।
कल्याणी स्टील के प्रबंध निदेशक आर के गोयल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'घरेलू बाजार को वैश्विक बाजार के अनुरूप लाए जाने के लिए यहां हमारे लिए लौह अयस्क कीमतों में 2,000 रुपये प्रति टन की वृद्घि की जरूरत है। एनएमडीसी द्वारा जुलाई में की गई कीमत कटौती महज 350 रुपये प्रति टन की लागत कटौती में सक्षम है, जो काफी कम है।'
वैश्विक लौह अयस्क कीमतें पिछले सप्ताह तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं, जिससे घरेलू बाजार में अयस्क कीमतों में गिरावट को लेकर चिंता गहरा गई। देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनिक एनएमडीसी ने हालांकि कीमतें 200-400 रुपये प्रति टन के बीच घटाई हैं, जिससे उद्योग और ज्यादा कीमत कटौती का अनुमान जता रहा है।
गोयल ने कहा, 'हम फिलहाल देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रहे हैं और आगामी सप्ताहों में एनएमडीसी द्वारा और ज्यादा कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। घरेलू बाजार में अयस्क कीमत में कमी के बाद हमारी लागत कटौती (इस्पात निर्माण के लिए) सहायक कंपनियों के लिए 2,000 रुपये प्रति टन के आसपास होनी चाहिए।' घरेलू बाजार में, लौह अयस्क फाइंस की कीमत मौजूदा समय में 6,000 रुपये प्रति टन पर है, जबकि लंप श्रेणी के अयस्क की कीमत 10,000 रुपये प्रति टन पर है।
घरेलू इस्पात उद्योग की करीब 50 प्रतिशत क्षमता में सहायक इस्पात कंपनियां शामिल हैं जो बाजार में लौह अयस्क की खरीदारी पर निर्भर करती हैं। दूसरी तरफ, प्रमुख इस्पात उत्पादकों के पास निजी अयस्क स्रोत हैं और इसलिए वे लौह अयस्क कीमतों में उतार-चढ़ाव से काफी हद तक बचे हुए हैं।
इस उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि हालांकि सहायक इस्पात उत्पादकों के लिए लागत दबाव कुछ हद तक कम हुआ है, लेकिन लॉन्ग श्रेणी के इस्पात की मांग कुछ खास सेगमेंटों में प्रभावित हुई है। एक लॉग-स्टील उत्पादक ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ इस्पात उपयोगिता स्तरों के बारे में कहा, 'वाहन उद्योग में सेमी-कंडक्टर के लिए मांग घटी है। इस वजह से, जहां हमारा उपयोग स्तर कुछ सप्ताह पहले बढ़ गया, लेकिन अब फिर से इसमें कमी आई है।'बुनियादी ढां चे, खासकर ग्रामीण बाजारों पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने से मांग बढ़ी है। इक्रा ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि इससे मझोले और छोटे 'लॉन्ग' श्रेणी के उत्पाद निर्माताओं के लिए क्षमता इस्तेमाल आगामी तिमाहियों में सुधरने की संभावना है।
इंस्टीट्यूट फॉर स्टील डेवलपमेंट ऐंड ग्रोथ (आईएनएसडीएसी) के महानिदेशक पी के सेन ने कहा, 'लॉन्ग श्रेणी के उत्पादों की मांग अच्छी है। ऐसे कुछ सेगमेंट हैं जिनमें मांग कमजोर बनी हुई है, लेकिन अन्य में तेजी आई है।'जनवरी से, लॉन्ग इस्पात उत्पादों की कीमतें घटी हैं। कीमतें कुछ महीने पहले के 56,000 रुपये प्रति टन से घटकर 53,000 रुपये प्रति टन पर रह गई हैं।
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