कोरोना महामारी ने घर खरीदारों की चाहत और उम्मीदों को प्रभावित किया है। प्रमुख संपत्ति सलाहकार कंपनी नाइट फ्रैंक के ताजा सर्वे में दावा कि गया है कि कोरोना महामारी के वजह से लोगों में घर खरीदने की चाहत बढ़ी है और उन्हे उम्मीद है कि अगले एक साल में उनके घरों की कीमत बढ़ जाएगी। भारत में कोविड-19 महामारी और उसके बाद लगे लॉकडाउन का अपना घर खरीदने वाले लोगों पर पड़े प्रभाव को जानने के लिए नाइट फ्रैंक ने देश के लिए दो भागों में प्राथमिक सर्वे किया। सर्वे के पहले भाग में उच्च आय वर्ग के लोगों ने भाग लिया, जिसका जिक्र 'ग्लोबल इंडिया सेगमेंट' के रूप में किया गया। वहीं दूसरी ओर सर्वे में मध्यवर्गीय आय वर्ग में घर के खरीदारों की भावना का गहराई से आकलन किया। इसे 'मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट' कहा गया। सर्वे के भारतीय संस्करण से पता चलता है कि 26 फीसदी मुख्यधारा के भारतीय महामारी के दौर में ही नए घर में शिफ्ट हो गए। इन लोगों ने अपने घर कई कारणों से बदला। इन लोगों को अपने घर में ज्यादा जगह चाहिए थी और वह अपने परिवार और दोस्तों के नजदीक रहना चाहते थे। भारत में मुख्यधारा के वह लोग, जो अब तक अपने घर में शिफ्ट नहीं हुए हैं, उनमें से 32 फीसदी लोगों की अगले 12 महीनों में अपने नए घर में शिफ्ट होने की इच्छा है। सर्वे में भाग लेने और अगले 12 महीनों में घर को बदलने की इच्छा रखने वाले 87 फीसदी लोग उसी शहर के उपनगरीय इलाके में शिफ्ट होना चाहते हैं, जिस शहर में वह रहे हैं, जबकि अपना घर खरीदने की इच्छा रखने वाले 13 फीसदी लोगों ने सर्वे में कहा कि वह किसी दूसरे शहर में बसने पर विचार कर सकते हैं। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, 'महामारी ने घरों का मालिक बनने के लोगों को नजरिये को बदल दिया है। दुनिया भर में पिछले कुछ महीनों में दो ट्रेंड सामने आए हैं। जगह के सवाल पर सबसे पहले कुछ खरीदारों की महत्त्वाकांक्षा बढ़ी है। उन्हें अपने लिए एक ऐसे दूसरे घर की तलाश है, जो उन्हें खास तरह की लाइफस्टाइल और मजा दें, जिसे उन्होंने अब तक काफी मिस किया है। दूसरे कम बचत दरों और शेयर मार्केट के जबर्दस्त उछाल के कारण लोग अब वास्तविक संपत्ति खरीदने पर अपना फोकस रखते हुए अपने पोर्टफोलियो को फिर से संतुलित करते हुए ज्यादा रक्षात्मक रुख अपना रहे हैं।' सर्वे में हिस्सा लेने वाले दुनिया भर के दो तिहाई लोग अपने मौजूदा घरों की कीमत बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं। इसमें से काफी लोगों को 12 महीनों में अपने मौजूदा घरों की कीमत में 1 फीसदी से लेकर 9 फीसदी तक बढ़ोतरी होने की आशा है। यह विचार नाइट फ्रैंक के प्राइम ग्लोबल फोरकास्ट इंडेक्स की अवधारणा से मेल खाता है। प्राइम ग्लोबल फोरकास्ट इंडेक्स ने भी जोर देकर कहा है कि 2021 में दुनिया भर में घरों की कीमतें 4 फीसदी तक बढऩे की संभावना है। अगर भारत के संदर्भ में देखें तो मेनस्ट्रीम इंडियम सेगमेंट में ग्लोबल इंडियन सेगमेंट की अपेक्षा घरों की खरीद के मामले में ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है। वह ज्यादा आशावादी भी हैं। सर्वे में मुंबई और कोलकाता के लगभग 58 फीसदी लोगों ने घरों की कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई है, जबकि पुणे के 53 फीसदी लोगों को भी ऐसी ही आशा है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले दक्षिण भारतीय शहरों के 60 फीसदी से ज्यादा लोगों को अगले 12 महीनों में अपने घरों के दाम में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। सर्वे में शामिल बेंगलूरु के 19 फीसदी लोगों और चेन्नई के 18 फीसदी लोगों को अगले 12 महीने में अपने घरों की कीमतों में 20 फीसदी या उससे अधिक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। नाइट फ्रैंक इंडिया के रिसर्च विभाग में राष्ट्रीय निदेशक और मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि भारत में कोरोना काल में घर शिफ्ट करने वालों की तादाद विश्व भर में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा सर्वेक्षण में भाग लेने वाले भारत के मेनस्ट्रीम सेगमेंट के 32 फीसदी लोगों ने बताया कि वह अगले 12 महीनों में घर बदलना चाहते हैं। महामारी के कारण रहन-सहन में आए बदलाव और वर्किंग स्टाइल ने घरों को अपग्रेड करने की जरूरत को बढ़ाया है। अब हवा की बेहतर क्वालिटी, हरियाली और बेहतर पर्यावरण तक पहुंच और स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा ऐसी प्रमुख विशेषताएं बन गई है, जो घर खरीदने वाले लोगों की प्राथमिकताओं को प्रभावित करती है। सर्वे का एक दिलचस्प पहलू यह है कि ग्लोबल इंडियंस की एक बड़ी संख्या ने घर खरीदने के लिए अपनी खर्च करने की प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट से जुड़े 43 फीसदी लोगों ने खुलासा किया कि उन्होंने घर खरीदने के लिए अपने खर्च करने के तरीकों में कटौती की है। 38 फीसदी लोगों का कहना था कि महामारी के बावजूद उनका पैसे खर्च करने की ओर झुकाव बढ़ा है। सर्वे में भाग लेने वाले मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट के हर तीन लोगों में एक व्यक्ति अगले 12 महीनों में अपने घर बदलने के लिए काफी इच्छुक हैं। जहां तक घर खरीदने के लिए खुलकर खर्च करने की बात है तो इसमें दक्षिण भारत में मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट का रुख और नजरिया काफी आशावादी है। चेन्नई में 63 फीसदी, हैदराबाद में 54 फीसदी और बेंगलूरु में 39 फीसदी लोगों ने संकेत दिया कि वह घर खरीदने के लिए ज्यादा खर्च करना चाहेंगे। भारत में सर्वे में भाग लेने वाले सभी आय वर्गों के करीब 40 फीसदी लोगों ने महामारी के कारण दूसरा घर खरीदने की इच्छा जताई है। भारत में घर से पढ़ाई और वर्क फ्रॉम होम की मांग के चलते मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट के लोगों में दूसरा घर खरीदने के प्रति झुकाव बढ़ा है। महामारी के नतीजे के तौर पर अगले 12 महीनों में नया घर खरीदने की इच्छा जताते हुए मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट के लोगों का ग्लोबल इंडियन सेगमेंट की तुलना में घर खरीदने के प्रति ज्यादा झुकाव नजर आया। सर्वे में भाग लेने वाले मेनस्ट्रीम इंडिया सेगमेंट के 32 फीसदी लोग नए घर की तलाश में हैं। मेनस्ट्रीम सेगमेंट से सर्वे में हिस्सा लेने वाले कुल लोगों में से 87 फीसदी लोग शहर के किसी दूसरे हिस्से में अपना घर खरीदना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ सर्वे में हिस्सा लेने वाले मुंबई और पुणे के लोग महामारी के बाद किसी दूसरे शहर में अपना नया घर लेना चाहते हैं। दुनिया भर से सर्वे में हिस्सा लेने वाले पांच व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति महामारी के कारण अगले 12 महीनों में अपना घर शिफ्ट करने के प्रति ज्यादा इच्छुक हैं। नाइट फ्रैंक में इंटरनैशनल रेजिडेंशियल रिसर्च के हेड केट एवरेट-एलन ने बताया, कि आर्थिक मूल तत्त्वों के अलावा घरों के खरीदारों का मनोविज्ञान या सोचने का ढंग भी घरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का एक प्रभावी तत्त्व माना जाता है। दुनिया भर में घरों के खरीदारों को आशा है कि अगले एक साल में उनके घरों की कीमत बढ़ जाएगी। हमारा विश्वास है कि आवासीय क्षेत्र में घरों की बढ़ती मांग में मजबूती आएगी। हमें यह उम्मीद है कि पिछले साल महामारी से प्रभावित रहे प्रॉपर्टी मार्केट में संतुलन के लिए बाजार की बुनियादी बातों को प्रमुखता दी जाएगी।
