यूपी में कुंभ मेले के आयोजन में हुई बड़े पैमाने पर धांधली | सिद्धार्थ कलहंस / लखनऊ August 26, 2021 | | | | |
उत्तर प्रदेश में 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ के मेले निर्माण से लेकर खरीद तक तमाम वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुई हैं। मेले के आयोजन में बड़े पैमाने पर सरकारी धन के अपव्यय का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में पेश की गई नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में कुंभ मेले में हुई अनियमितताओं का खुलासा किया गया है।
प्रदेश सरकार ने 2019 में कुंभ मेले के लिए 2743.60 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिनमें से जुलाई 2019 तक 2112 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। सीएजी की रिपोर्ट में शौचालय निर्माण से लेकर, ट्रैक्टर, ड्रोन विमानों व एलईडी लाइटों की खरीद, टेंट लगवाने और आपदा राहत कोष के इस्तेमाल तक में धांधली उजागर की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ मेले के इंतजाम में लगे अधिकारियों ने कागजों पर ही ट्रैक्टर खरीद डाले और जब सीएजी ने परीक्षकों ने उनका मिलान किया तो फर्जीवाड़ा सामना आया। मेले में जिन 32 ट्रैक्टर को खरीदा गया उनके रजिस्ट्रेशन नंबर सही नहीं पाए गए। जिन ट्रैक्टरों की खरीद दिखाते हुए जो नंबर बताए गए, वह कार, मोपेड और स्कूटर के नंबर पंजीकृत मिले। सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के दस्तावेजों से स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट में दिखाए गए 32 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या के मिलान में पता चला इनमें से 4 ट्रैक्टरों के पंजीकरण नंबर एक मोपेड, दो मोटरसाइकिल और एक कार के थे।
नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में बताया गया कि कुंभ मेले में आपदा राहत के लिए भी कोष का आवंटन किया गया था। इस कोष का इस्तेमाल आपदा की स्थिति में किया जाना था। हालांकि बिना किसी आपदा के भी इस धन का इस्तेमाल कर लिया गया। कुंभ मेले में आपदा राहत कोष से गृह पुलिस विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, सीएजी ने इस पर भी सवाल उठाया है कि आपदा राहत कोष का प्रयोग तो आपदा की स्थितियों में होता है ऐसे में आवंटित धन का अपव्यय हुआ। रिपोर्ट में बताया गया है कि बिना वित्तीय स्वीकृत सड़कों के निर्माण में भारी अनिमियता हुई और स्वीकृत दरों से कई गुना ज्यादा पर काम कराया गया। रिपोर्ट के मुताबिक 32.50 लाख रुपये में खरीदे गए 10 ड्रोन कैमरे इस्तेमाल में ही नहीं लाए गए। सीएजी ने पाया कि ये 10 ड्रोन कैमरे किसी काम के नहीं थे और कंडम निकले।
कुंभ में टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग कार्यों के लिए 105 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति के सापेक्ष मेला अधिकारी ने 143.13 करोड़ रुपये के कार्य कराए। मेले की व्यवस्था देख रहे अधिकारियों ने 42000 रुपये के एक शौचालय का निर्माण किया और 231.45 करोड़ रुपये के अस्थाई टेंटों का निर्माण कराने में खर्च किया जिसके बारे में सीएजी का कहना है कि इसका कुल भुगतान 143 करोड़ रुपये ही होना चाहिए था। मेले में 10,500 रुपये की एलईडी लाइट का भुगतान 22650 रुपये कर दिया और राज्य को इस मद में भी 32 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष इसे उत्तर प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बता रहा है। कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक रिपोर्ट के आधार पर सरकार को घेर रहे हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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