पंजाब कांग्रेस का कलह चुनावी संभावनाओं को लगाएगी पलीता? | आदिति फडणीस / August 25, 2021 | | | | |
पंजाब कांग्रेस के एक नेता ने कटु लहजे में कहा, 'इसके बारे में लिखकर अपना अखबारी कागज बेकार मत करना। इसका कोई मतलब नहीं है।' वह हाल ही में गठित दस-सदस्यीय रणनीतिक नीति समूह (एसपीजी) के संदर्भ में ऐसा कह रहे थे। एसपीजी का गठन सरकार एवं पार्टी के भीतर बेहतर समन्वय के लिए किया गया है लेकिन असल में यह कदम पंजाब कांग्रेस में विरोधी धड़ों को संतुष्ट करने के मकसद से उठाया गया है।
जब इस नेता से यह पूछा गया कि क्या यह समिति आगामी विधानसभा चुनावों में टिकटों के वितरण जैसे अहम मसलों पर भी गौर करेगी तो उन्होंने इसे सिर्फ 'बकवास' करार दिया। उन्होंने कहा, 'अरे, यह कुछ नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन साब से सरकार एवं पार्टी के बीच बेहतर समन्वय का जिक्र कर रहे थे। इसलिए वह मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आए। मुख्यमंत्री ने उन्हें 90 मिनट तक इंतजार कराया और सिर्फ 5 मिनट के लिए मिलने के बाद कहा कि ठीक है, बना दो।'
पंजाब कांग्रेस के नेता कहते हैं, 'पंजाब में जिस एकमात्र रणनीतिक नीतिगत कदम की जरूरत है वह मुख्यमंत्री ही हैं। कैप्टन साब चुनाव जीतने के लिए हमारी रणनीतिक नीति हैं। इसके अलावा बाकी सब ढकोसला है।'
लेकिन ऐसी समिति के गठन के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह का राजी होना यह दर्शाता है कि सिद्धू की बेचैनी से परेशान पार्टी नेतृत्व के उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही मुख्यमंत्री दबाव महसूस करने लगे हैं। पार्टी एवं सरकार के बीच बेहतर तालमेल के लिए गठित एसपीजी के प्रमुख मुख्यमंत्री होंगे और उसमें स्थानीय शासन मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और सामाजिक सुरक्षा मंत्री अरुणा चौधरी भी शामिल हैं। पार्टी संगठन की तरफ से सिद्धू एवं चार कार्यकारी अध्यक्षों- कुलजीत सिंह नागरा, सुखविंदर सिंह डैनी, संगत सिंह गिलजियां और पवन गोयल के अलावा महासचिव परगट सिंह भी सदस्य बनाए गए हैं। परगट सिंह सिद्धू के बेहद वफादार माने जाते हैं। लेकिन ब्रह्म मोहिंद्रा राज्य सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री होने के साथ ही मुख्यमंत्री के सबसे बड़े समर्थक भी हैं। जब सिद्धू को पिछले महीने प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तो मोहिंद्रा ने कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने के लिए सिद्धू आएंगे तभी उन्हें स्वीकार्य किया जाएगा। मोहिंद्रा ने कहा था, 'कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और उनके निर्देशों का पालन करना मेरा दायित्व है। इसके अलावा वह मंत्रिमंडल के भी मुखिया हैं जिसका एक सदस्य मैं भी हूं। हमारी एक सामूहिक जवाबदेही है, लिहाजा मैं नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष से तब तक नहीं मिलूंगा जब तक कि उनके एवं मुख्यमंत्री के बीच के मुद्दे हल नहीं हो जाते।'
प्रतिक्रिया करने में सुस्ती दिखाने का आरोप झेलने वाले नेता अमरिंदर सिंह ने इस मामले में तेजी से कदम उठाया। सिद्धू से मुलाकात के चंद घंटों के ही भीतर वह न केवल समन्वय समिति के गठन के लिए राजी हो गए बल्कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद रहने का रोस्टर भी जारी कर दिया ताकि वे कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात के लिए उपलब्ध रहें।
सिद्धू और उनके गुट ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से यह शिकायत की थी कि मंत्रियों नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री से ही मिल पाना बहुत मुश्किल होता है। इस संदर्भ में अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रियों को सोमवार से लेकर शुक्रवार तक रोजाना प्रदेश पार्टी मुख्यालय में तीन घंटे तक मौजूद रहने को कहा है लेकिन खुद उनका नाम इस सूची में शामिल नहीं है।
स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री राष्टï्रीय ध्वज फहराने के लिए अमृतसर गए थे जो सिद्धू का निर्वाचन क्षेत्र भी है। वहां पर उन्होंने आसपास के पार्टी नेताओं के साथ विचार-विमर्श भी किया। लेकिन न तो सिद्धू और न ही उनके समर्थक 15 अगस्त के उस कार्यक्रम में मौजूद थे। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष ने चंडीगढ़ में तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता दिवस मनाया। सिद्धू पहले ही मुख्यमंत्री को यह खुली चुनौती दे चुके थे कि वह तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खारिज करें अन्यथा पार्टी विधायक खुद ही विधानसभा में यह काम करेंगे।
दोनों नेताओं के बीच विवाद के कई दूसरे मसले भी हैं जिनका अभी समाधान नहीं निकल पाया है। हिंदू समुदाय से आने वाले सुनील जाखड़ की जगह सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से अमरिंदर सिंह के साथ मतभेद बढ़े ही हैं। कांग्रेस के प्रमुख नेता पवन दीवान ने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह हिंदुओं के लिए क्या कर रहा है? दीवान कहते हैं कि पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, युवा कांग्रेस अध्यक्ष एवं चुनाव अभियान समिति के प्रमुख सभी पदों पर तैनात सभी लोग जाट सिख हैं।
सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष का मनचाहा पद मिलने के बाद भी उनके दोषारोपण का दौर खत्म नहीं हुआ। एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'हम सस्ती दर पर बिजली देंगे।' उनके इस बयान से 'हम बनाम वो' की जद्दोजहद उर्जागत होती दिखी। पार्टी आलाकमान से सिद्धू की शिकायत करने के लिए इतना ही काफी था। अमरिंदर ने पार्टी नेतृत्व से कहा कि प्रदेश अध्यक्ष को अपनी ही सरकार पर हमला बंद करना होगा।
यह एक तरह का रचनात्मक तनाव है जो पार्टी में अब तक नदारद हुआ करता था। बहरहाल अब विधानसभा चुनाव होने तक मुद्दा पंजाब में कांग्रेस के दोबारा सरकार बनाने का नहीं होगा। असल मुद्दा यह होगा कि कौन सा गुट चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने में सफल रहता है ताकि वह मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक सके। एक हद तक पार्टी नेतृत्व का 'सबसे मुफीद शख्स को जीतने दो' वाला रवैया काम करता हुआ नजर आता है। लेकिन यह बहस का मुद्दा है कि यह रवैया चुनावों में भी कारगर होगा या नहीं।
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