रोजगार बाजार में हलचल, त्योहारों में भर्तियों में आएगी तेजी | सुदीप्त दे / नई दिल्ली August 24, 2021 | | | | |
कॉलेज परिसरों से फ्रेशरों की भर्ती और तकनीक क्षेत्र की प्रतिभाओं को अपने साथ जोडऩे की कवायद के बावजूद भारतीय उद्योग जगत को नियुक्तियों के मामले में कोविड के पहले के स्तर पर पहुंचने में कम से कम एक तिमाही और लग सकती है। ऐसा मानव संसाधन से जुड़े अधिकतर कार्याधिकारियों का मानना है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद नई नियुक्तियों में तेजी आई है लेकिन अभी यह विशिष्ट कौशल की श्रेणी तक ही सिमटी है और व्यापक स्तर पर भर्तियां नहीं हो रही हैं। ज्यादातर जोर शुरुआती, कनिष्ठ और मझोले स्तर पर दिया जा रहा है। मगर शुरुआती रूझान से संकेत मिलता है कि अगले चार हफ्तों में विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां त्योहारों के मद्देनजर अपनी नियुक्ति योजना पर काम शुरू करेंगी। आम तौर पर इसकी शुरुआत अगस्त में होती है और दिसंबर तक जारी रहती है।
अस्थायी श्रमिक समाधान मुहैया करने वाली इंडिया स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने कहा कि अगले चार हफ्ते यह तय करने के लिहाज से अहम होंगे कि नई भर्तियां कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंचती हैं या नहीं। मानव संसाधन विशेषज्ञ और प्रतिभा तलाशने वाली फर्मों का कहना है कि नियुक्ति गतिविधियों में इस साल जून से महीना-दर-महीना वृद्घि देखी जा रही है।
बहुराष्ट्रीय मानव संसाधन सलाहकार फर्म रैंडस्टैंड इंडिया में पेशेवर तलाश एवं चयन तथा रणनीतिक खातों के निदेशक संजय शेट्टी ने कहा कि इस साल त्योहारी या मौसमी नियुक्तियों में 30 से 35 फीसदी की उछाल आ सकती है। कोविड के कारण पिछले साल आधार कम होने की वजह से वृद्घि ज्यादा दिख सकती है। हालांकि तीसरी लहर आती है तो सारे समीकरण धरे रह जाएंगे।
सूचना प्रौद्योगिकी और आईटीईएस क्षेत्र भर्तियों के मामले में आगे रहा है। ईवाई इंडिया में पार्टनर और टैलेंट लीडर संदीप कोहली ने कहा, 'महामारी के बाद बदले माहौल में भारत ही नहीं पूरी दुनिया में तकनीक आधारित प्रतिभाओं की मांग तेजी से बढ़ी है।' पेशेवर सेवा फर्म इंजीनियरिंग संस्थानों, शीर्ष प्रबंधन संस्थानों के साथ-साथ उद्योग में काम करने वाले विशेष कौशल जैसे कृत्रिम मेधा, मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, विश्लेषण, ईएसजी आदि से जुड़े लोगों की भर्तियां कर रही हैं।
शेट्टी ने कहा कि दूसरी लहर के बावजूद अप्रैल-जून तिमाही में आईटी क्षेत्र में नौकरियों की मांग कोविड के पहले के स्तर से 4 से 5 फीसदी ज्यादा हो गई है। उन्होंने कहा, 'जुलाई-सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 10 से 15 फीसदी तक बढ़ सकता है।' अधिकतर एचआर विशेषज्ञ अगले 12 से 15 महीने तक तकनीकी पेशेवरों की मांग बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं। इसके बाद ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स, डिलिवरी, आपूर्ति शृंखला और फार्मा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नौकरियों की मांग है। आईएसएफ को उम्मीद है कि अगस्त से दिसंबर के दौरान त्योहारी मौसम में ई-कॉमर्स, डिलिवरी और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में रोजगार के करीब 1.5 लाख अवसर पैदा होंगे। इसके साथ ही फूड डिलिवरी और हाइपर लोकल कारोबार में इस दौरान 1 से 1.5 लाख नौकरियां सृजित होंगी। तकनीकी स्टार्टअप खास तौर पर एडटेक और फिनटेक क्षेत्र में भी रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे।
निवेश सौदों में तेजी और हाल के महीनों में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम की होड़ के कारण पेशेवर सेवा प्रदताओं और बड़ी एवं मझोली विधि फर्मों में नियुक्तियां कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच गई हैं। पेशेवर सेवा रणनीति विशेषज्ञ जय ए कुमार ने कहा, 'क्लाइंट रिलेशनशिप और कारोबार विकास टीम को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है और फर्में इन टीमों का विस्तार कर रही हैं।' मानव संसाधन विशेषज्ञों का कहना है कि रिटेल, बैंकिंग और वित्त तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की ओर से भी अगले 4-5 महीनों में अच्छी खासी संख्या में नौकरियां आएंगी।
आईएसएफ के भाटिया ने कहा, 'बैंकों के पास अच्छी खासी पूंजी है और वे बिक्री को बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं। पिछले साल वे अपनी नकदी और पूंजी बचाने पर ध्यान दे रहे थे।' कई उपभोक्ता केंद्रित कंपनियों ने हाल ही में बोनस और वेतन वृद्घि की घोषणा की है। भाटिया ने कहा कि ग्राहकों के आने से ठीक पहले कर्मचारियों को प्रेरित करने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। आईएसएफ को उम्मीद है कि अगस्त-दिसंबर तक रिटेल और उपभोक्ता क्षेत्र में रोजगार के 55,000 से 75,000 अवसर पैदा होंगे। बीएफएसआई और एनबीएफसी में भी अगले पांच महीनों के दौरान 75,000 से 90,000 नौकरियां आ सकती हैं।भाटिया का मानना है कि 10 सितंबर से शुरू हो रहे गणेशोत्सव के दौरान भर्तियों में तेजी आ सकती हैं और नियुक्तियां कोविड के पूर्व स्तर तक पहुंच सकती है। अब तक बड़ी कंपनियों का ही भर्तियों में वर्चस्व रहा है। इसके बाद स्टार्टअप और कुछ मझोले आकार की कंपनियों ने ज्यादा भर्तियां की हैं।
हेड हंटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बड़ी और मझोले आकार की बहुराष्ट्रीय विनिर्माण कंपनियां स्थानीय स्तर पर विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर रही हैं। हालांकि नई परियोजनाओं के शुरू होने में दो साल लग सकते हैं लेकिन इससे भी देश में रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे। छोटी और मझोली आकार की कंपनियां अभी भर्तियों में तेजी नहीं दिखा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह यह है कि कोविड के कारण इन कंपनियों को खासा नुकसान हुआ है। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर आनंदरूप घोष ने कहा, 'उनमें से अधिकांश अपनी लागत का बोझ घटाने का उपाय तलाश रही हैं और वेतन इन कंपनियों की बड़ी लागत होती है, ऐसे में वे इस खर्च को कम करने का प्रयास करेंगी।'
कोविड के कारण कारोबार की अनिश्चितता के कारण छोटी अवधि के लिए ठेके पर दी जाने वाली नौकरियों में कमी आई है। मगर अगले चार से पांच महीनों में इसमें तेजी आ सकती है। आम तौर पर ऐसे अनुबंध 90 से 120 दिन के होते हैं। इस बीच अच्छी बात यह हुई कि अस्थायी श्रमिकों की सामाजिक और चिकित्सा सुरक्षा में सुधार हुआ है। कई कंपनियां नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाली फर्मों से अस्थायी श्रमिकों को समूह चिकित्सा बीमा और समूह जीवन बीमा देने को कह रही हैं।
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