ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अफगानिस्तान के संकट पर जी 7 देशों की आपात बैठक की अध्यक्षता करने से पहले कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं उसके काम से आंका जाएगा। जॉनसन ने कहा, 'हमारी पहली प्राथमिकता, हमारे नागरिकों और पिछले 20 साल में हमारी कोशिश में मदद करने वाले अफगानिस्तान के लोगों को निकालना है, लेकिन जब हम अगले चरण की योजना बनाते हैं तो यह जरूरी हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तौर पर हम साथ आएं और दीर्घावधि के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण पर सहमत हों।' ब्रिटेन ने कहा है कि उसने हाल के दिनों में काबुल से 8,600 ब्रिटिश और अफगान नागरिकों को निकाला है जिनमें से 2,000 लोगों को पिछले 24 घंटों में निकाला गया। लेकिन रक्षा मंत्री बेन वालास ने माना कि 31 अगस्त को अमेरिकी नेतृत्व वाला मिशन समाप्त होने से पहले सभी को देश से बाहर नहीं निकाला जा सकेगा। वहीं अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने मंगलवार को सिंगापुर में कहा कि अमेरिका का ध्यान, अफगानिस्तान से अपने नागरिकों, अंतरराष्ट्रीय साझेदारों और सहायता करने वालों को निकालने पर केंद्रित है। व्हाइट हाउस, विदेश मंत्रालय और पेंटागन के अधिकारियों के अनुसार, काबुल हवाईअड्डïे से लोगों को निकालने के अभियान को विस्तार देने पर अंतिम निर्णय राष्ट्रपति जो बाइडन को लेना है। चीन का तंज चीन ने दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला देवी हैरिस की टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा कि अमेरिका ने पहले अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया और फिर सैनिक वापस बुला लिए तथा वॉशिंगटन के लिए यही नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की परिभाषा है। हैरिस ने सिंगापुर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान अपने महत्त्वपूर्ण विदेश नीति संबोधन में कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े क्षेत्र में जबरदस्ती अपना दबदबा कायम करने, धमकाने और दावे करने का काम कर रहा है। आर्थिक प्रतिबंध नहीं अफगानिस्तान के संकट और तालिबान के खिलाफ संभावित आर्थिक प्रतिबंधों पर चर्चा के लिए जी 7 देशों की मंगलवार को प्रस्तावित बैठक से पहले चीन ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को अतीत से सबक सीखना चाहिए और समझदारी से काम लेना चाहिए। चीन ने कहा कि तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने संबंधी कदम सार्थक साबित नहीं होगा। जी 7 देशों में ब्रिटेन के अलावा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं। जी 7 देशों के नेताओं की मंगलवार को डिजिटल बैठक होगी जिसमें तालिबान के कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा की जाएगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। जॉनसन ने बैठक से पहले कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं उसके काम से आंका जाएगा। गुप्त बैठक अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक ने तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर के साथ काबुल में सोमवार को गुप्त बैठक की। मंगलवार को एक खबर में यह जानकारी दी गई है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली उच्च स्तर की बैठक थी। वॉशिंगटन पोस्ट ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से अपनी खबर में बताया कि सीआईए के निदेशक विलियम जे. बन्र्स ने सोमवार को काबुल में बरादर के साथ एक गुप्त बैठक की। खबर में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शीर्ष खुफिया एजेंसी के प्रमुख को काबुल भेजने का फैसला किया। इसमें कहा गया है कि सीआईए ने तालिबान के साथ बैठक पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बर्बरता की खबरें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैशलेट ने कहा कि उन्हें अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में बर्बरता से संबंधित पक्की खबरें मिली हैं जिनमें आम लोगों और हथियार डाल चुके सुरक्षाकर्मियों को तत्काल मृत्युदंड दिया जाना तथा महिलाओं पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। उन्होंने मानवाधिकार परिषद से अफगानिस्तान में लोगों के अधिकारों से जुड़ी स्थिति पर निगरानी के लिए साहसिक एवं ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया। बैशलेट ने कहा कि मानवाधिकार हनन की खबरों की जांच के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और युद्धग्रस्त देश पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। अफगान शरणार्थियों को आवास देगी एयरबीएनबी एयरबीएनबी और एयरबीएनबी डॉट ओआरजी ने मंगलवार को कहा कि उसकी गैर-लाभकारी संस्था दुनिया भर में 20,000 अफगान शरणार्थियों को अस्थायी आवास मुहैया कराएगी और इस लागत की भरपाई एयरबीएनबी और सह-संस्थापक ब्रायन चेस्कीके एयरबीएनबी डॉट ओआरजी में दिए गए योगदान के जरिये की जाएगी। इसके अलावा एयरबीएनबी डॉट ओआरजी रिफ्यूजी फंड में डाले गए दानदाताओं के पैसे से भी लागत की भरपाई होगी। इसने प्राकृतिक आपदाओं से विस्थापित लोगों को आश्रय में मदद देने के साथ ही कोविड-19 महामारी के संकट के दौरान अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के रहने के लिए हजारों जगहों की पेशकश की। मोदी ने अफगानिस्तान की स्थिति पर पुतिन से की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से बात कर अफगानिस्तान के ताजा हालात के साथ-साथ दोनों देशों (भारत-रूस) के द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, 'अफगानिस्तान के ताजा हालात पर मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से विचारों का उपयोगी और विस्तृत आदान प्रदान हुआ। हम लोगों ने कोविड-19 के खिलाफ भारत-रूस सहयोग सहित द्विपक्षीय एजेंडे से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श जारी रखने पर दोनों देश सहमत हुए।' भारत चिंतित भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति उसके लिए गंभीर चिंता का विषय है और उसे उम्मीद है कि यह पड़ोसियों के लिए चुनौती नहीं बनेगी तथा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूह द्वारा अपनी गतिविधियों के लिए देश की भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय राजदूत इंद्रमणि पांडेय ने कहा कि देश (अफगानिस्तान) में एक 'गंभीर' मानवीय संकट उभर कर सामने आ रहा है और हर कोई अफगान लोगों के मौलिक अधिकारों के बढ़ते उल्लंघन को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि वहां की स्थिति जल्द ही स्थिर होगी और संबंधित पक्ष मानवीय और सुरक्षा मुद्दों का समाधान निकालेंगे। उन्होंने कहा, 'हमें यह भी उम्मीद है कि एक समावेशी और व्यापक आधार वाली व्यवस्था होगी जो अफगान समाज के सभी तबकों का प्रतिनिधित्व करती है। अफगान महिलाओं की आवाज, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।' काबुल पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद अफगानिस्तान में मानवाधिकार संबंधी चिंता और स्थिति पर विचार-विमर्श के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का विशेष सत्र आयोजित किया गया है।
