कोविड महामारी का बैंक और ग्राहकों पर असर | तमाल बंद्योपाध्याय / August 22, 2021 | | | | |
बैंक कोविड-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच कारोबार करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। कुछ बैंकों ने ऋण देना फिलहाल बंद कर दिया है तो कुछ इस मोर्चे पर सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। विगत कुछ वर्षों से कंपनियों को ऋण देने से परहेज करने वाले कुछ बैंकों ने अब निगमित ऋण खाते का आकार बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसकी वजह यह है कि खुदरा ऋणों का नियमित भुगतान उन्हें नहीं मिल रहा है जिससे जोखिम कम करने और नुकसान की भरपाई करने के लिए वे कंपनियों को अधिक उदार होकर ऋण दे रहे हैं।
कोविड महामारी ने ग्राहकों को किस तरह का प्रभावित किया है? भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कोविड महामारी के असर पर एक अध्ययन किया है। महामारी की पहली लहर के दौरान जब देश में लॉकडाउन लगा था तो लोगों ने अपने हाथ कस लिए थे। इससे बैंकों के पास जमा रकम बढ़ गई थी। हालांकि जिन जिलों पर महामारी ने सबसे अधिक चोट की वहां ग्राहकों ने आपात चिकित्सा के लिए बैंकों से अपनी रकम निकाल ली। सर्वेक्षण में कुल 711 जिले शामिल किए गए थे जिनमें से 112 में ग्राहकों ने अप्रैल और दिसंबर 2020 के बीच 1.07 लाख करोड़ रुपये निकाले थे। शेष 599 जिलों में 11.20 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा हुई थी।
एसबीआई ने कोविड-19 महामारी के दूसरे चरण में ग्राहकों का व्यवहार समझने के लिए एक और अध्ययन किया। खासकर, बैंक ने वित्त वर्ष 2021 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 16 प्रतिशत योगदान देने वाले ग्रामीण क्षेत्र का अध्ययन किया। जिन जिलों में बैंक से जमा रकम निकली थी उनकी संख्या पहली लहर की तुलना में अप्रैल और मई 2021 के बीच बढ़कर लगभग दोगुना हो गई। अगस्त-सितंबर 2020 में देश के ग्रामीण क्षेत्र में संक्रमण के 22.8 लाख मामले दिखे थे जो अप्रैल-मई 2021 में बढ़कर 76.1 लाख हो गए। इसी तरह, अगस्त-सितंबर 2020 में ग्रामीण भारत में कोविड से 28,000 मौतें हुई थीं मगर अप्रैल-मई 2021 में यह बढ़कर 83,683 हो गईं। देश के 735 जिलों में एसबीआई के कारोबारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-मई 2021 में 213 जिलों में बैंक से जमा रकम निकाली गई।
213 में कम से कम से पांच जिलों में निकासी 1,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक रही है। इन जिलों में पूर्वी दिल्ली, मुंबई, संबलपुर, तिरुवनंतपुरम और बेंगलूरु शामिल हैं। इनमें पूर्वी दिल्ली को छोड़कर एक वर्ष पहले अप्रैल-मई 2020 में दूसरे जिलों में जमा रकम बढ़ी थी। एसबीआई के 16 सर्किलों में ज्यादातर में बचत खाते से रकम निकाली गई। जमा रकम निकासी के लिहाज से शीर्ष 20 जिलों में कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर राष्टï्रीय औसत से अधिक थी।
अप्रैल और मई 2021 में एसबीआई की सावधि जमा योजनाओं से दूसरे बैंकों की तरह ही अवधि पूरी होने से पहले ही रकम निकाल ली गई। प्रति व्यक्ति ऊंची आय वाले राज्यों जैसे महाराष्ट्र और दिल्ली और यहां तक कि कम प्रति व्यक्ति आय वाले झारखंड में भी यह रुझान देखा गया। समूचे बैंकिंग उद्योग में अवधि पूर्ण होने से पहले ही सावधि जमा योजनाओं से 1.4 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए गए। जमा रकम की निकासी और कोविड से हुई मौतों के बीच संबंध काफी भिन्न है। जिन 735 जिलों में एसबीआई की उपस्थिति है उनमें 189 में दूसरी लहर के दौरान मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही।
13 राज्यों के कम से कम 27 जिलों में सावधि जमाओं से 2 प्रतिशत तक अपरिपक्व निकासी हुई। जमा निकासी के साथ ही कोविड प्रभावित ज्यादातर जिलों में एसबीआई के आवास ऋण खातों में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि देखी गई है। विश्लेषण के मकसद से एसबीआई ने उन 84 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जिनमें आवास ऋण पोर्टफोलियो कम से कम 100 करोड़ रुपये से अधिक था। इस समूह में अधिक मृत्यु दर वाले 27 जिलों में फंसे ऋण 3 प्रतिशत से अधिक रहे हैं। जिन 30 जिलों में आवास ऋण खंड में 1.5 से 3 प्रतिशत तक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां दिखी हैं वहां मृत्यु दर भी राष्टï्रीय औसत से अधिक रही है। इनमें कई जिलों में जमा रकम की निकासी भी हुई है।
इस सूची में नीचे रहने वाले 27 जिलों में आवास ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां 1 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत रही हैं और मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है। ये जिले देश के लगभग सभी जिलों में मौजूद हैं, हालांकि गुजरात का हिस्सा इनमें किसी भी दूसरे राज्य से अधिक है। जिन जिलों में मृत्यु दर अधिक रही है वहां सोना गिरवी रखकर ऋण प्राप्त करना एक लोकप्रिय जरिया हो गया है। अमूमन सोना गिरवी रख कर ऋण लेने का चलन दक्षिण भारत में अधिक रहा है लेकिन कोविड महामारी के दौरान यह देश के लगभग सभी हिस्सों में देखा जा रहा है।
महामारी के दौरान कर्मचारियों ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) से भी रकम निकली है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार ईपीएफओ ने 72.44 दावे निपटाए और इनके जरिये अप्रैल और जून 2021 के दौरान तीन महीनों में 24,897 करोड़ रकम उपभोक्ताओं के बैंक खातों में अंतरित किए। राजधानी दिल्ली में अंतर सर्वाधिक दिखा। पूर्वी दिल्ली में एनपीए में इजाफा हुआ और रकम निकासी हुई लेकिन दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में परिसंपत्ति गुणवत्ता में खास गिरावट नहीं आई। इन क्षेत्रों में नई जमा रकम में भी तेजी आई। पूर्वी दिल्ली में मृत्यु दर इन तीन क्षेत्रों के मुकाबले कहीं अधिक रही। यह स्पष्टï है कि कोविड महामारी से संपन्न वर्ग तुलनात्मक रूप से कम प्रभावित हुए हैं। पूरे देश की यही कहानी है। महामारी से संपन्न और विपन्न लोगों के बीच खाई और बढ़ गई है। कोविड महामारी के बाद दिखने वाली नई दुनिया में इससे निपटना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
(लेखक बिज़नेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक, लेखक और जन स्मॉल फाइनैंस बैंक में वरिष्ठï सलाहकार हैं।)
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