आगामी कुछ महीनों में ब्याज दर वृद्घि की चिंताओं से बैंकिंग और पीएसयू डेट फंडों में पूंजी प्रवाह प्रभावित हुआ है। म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग के कारोबारियों का यह भी कहना है कि बाजार नियामक द्वारा पर्पेचुअल बॉन्डों के मूल्यांकन में बदलाव भी बैंकिंग और पीएसयू डेट श्रेणी से किसी की मुख्य वजहों में से एक है। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से जुलाई तक बैंकिंग और पीएसयू डेट फंडों में 1,247.44 करोड़ रुपये की बिकवाली दर्ज की गई है। भारत में म्युचुअल फंड उद्योग संगठन एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले 6 महीनों में इस श्रेणी से 9,400 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की गई है। मिरई ऐसेट एएमसी में मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) महेंद्र जाजू का कहना है, 'निवेशक भारत में ब्याज दरों को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि भविष्य में ब्याज दरें बढ़ेंंगी। इसलिए वे इसका इंतजार कर रहे हैं।' बैंकिंग और पीएसयू डेट फंडों द्वारा अर्जित प्रतिफल पिछले कुछ महीनों में घटा है। पिछले एक साल में इस श्रेणी ने 4.83 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है, जबकि कैलेंडर वर्ष 2020 और 2019 में यह श्रेणी 9.83 प्रतिशत और 9.78 प्रतिशत प्रतिफल देने में सफल रही। श्रेणी के तहत कुछ ऋण पत्रों पर कारोबार पिछले दो साल में घटा भी है और ऐसी आशंका है कि इसमें तेजी आने से प्रतिफल प्रभावित हो सकता है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि ऐसे फंडों की औसत परिपक्वता डेढ़ साल से ढाई साल के बीच है। अक्सर, बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड बैंकिंग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी डेट योजनाओं में अपनी 80 प्रतिशत निवेश करते हैं, जिससे क्रेडिट फंडों और कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों जैसी अन्य डेट श्रेणियों के मुकाबले यह सुरक्षित निवेश विकल्प बन गया है। पिछले एक साल के दौरान बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड श्रेणी अनुकूल पूंजी प्रवाह दर्ज करने में सफल रही, क्योंकि निवेशकों ने अपना पैसा सुरक्षित विकल्पों में लगाने पर जोर दिया है। पिछले वित्त वर्ष में बैंकिंग और पीएसयू डेट फंडों में 39,425 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह आकर्षित हुआ। घरेलू फंडों पर अपनी एक रिपोर्ट में मॉर्निंगस्टार ने लिखा है, 'जहां पूंजी प्रवाह इस श्रेणी में लगभग पिछले 18 महीनों के दौरान काफी हद तक सकारात्मक रहा है, वहीं पिछले कुछ महीनों (फरवरी और मई, 2021) में लगातार निकासी हुई है। इस निकासी का मुख्य कारण संभवत: बाजार नियामक सेबी के मानकों की वजह से आया बदलाव था। ये मानक एटी1 बॉन्ड जैसे पर्पेचुअल बॉन्डों के मूल्यांकन से जुड़ा हुआ है।' हालांकि फंड प्रबंधकों का कहना है कि जो निवेशक डेट बाजार में अस्थिरता को लेकर चिंतित हैं, उन्हें अपना पैसा लिक्विड या मनी मार्केट फंडों में लगाना चाहिए। लेकिन यदि निवेशक तीन साल से ज्यादा समय तक अपने निवेश से जुड़े रहना चाहते हैं, तो उन्हें बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड श्रेणी में अपना निवेश बरकरार रखना चाहिए।
