इक्विटी फंडों के सकारात्मक रिटर्न और लंबी अवधि की वित्तीय योजनाओं के तौर पर म्युचुअल फंडों की बढ़ती स्वीकार्यता के कारण इक्विटी योजनाओं में निवेशक लंबे समय तक निवेशित बने हुए हैं। जून तिमाही में 55.6 फीसदी से ज्यादा खुदरा निवेशक दो साल से ज्यादा समय तक इक्विटी योजनाओं में निवेशित बने रहे, जबकि मार्च 2020 में 48.7 फीसदी निवेशक इतने समय तक निवेशित थे। पिछले एक साल में इक्विटी फंडों में दो साल से ज्यादा समय तक निवेशित बने रहने वाले निवेशकों की संख्या बढ़ी है। यह जानकारी एसोसिशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से मिली। आंकड़े बताते हैं कि 7.12 लाख करोड़ रुपये की खुदरा इक्विटी परिसंपत्तियों में से 3.96 लाख करोड़ रुपये दो साल से ज्यादा समय तक निवेशित बने हुए हैं। यहां तक कि खुदरा निवेशक लंबी अवधि के लिहाज से निवेश जारी रखे हुए हैं और एचएनआई की निवेशित अवधि जून तिमाही में करीब 47 फीसदी रही।बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि यह प्रवृत्ति बढ़ी है क्योंकि पहली बार निवेश करने वालों ने लंबी अवधि तक इक्विटी में निवेशित रहने के फायदे को ध्यान में रखकर म्युचुअल फंडों में निवेश शुरू किया है। आईडीएफसी एमएफ के प्रमुख (प्रॉडक्ट्स) एस बसु ने कहा, निवेशक अब इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर रहे कि धैर्य रखने का बेहतर इनाम मिलता है। इक्विटी बाजार में समय बिताना उसमें प्रवेश के समय से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। पिछले एक साल में इक्विटी फंडों में सृजित रिटर्न भी एक वजह हैृ, जिसके कारण निवेशक इक्विटी फंडों में निवेशित हैं। लार्जकैप फंडों का औसत रिटर्न पिछले एक साल में करीब 45.88 फीसदी रहा है। वहीं मिडकैप व स्मॉलकैप फंडों ने पिछले एक साल में क्रमश: 64.27 फीसदी व 88.87 फीसदी रिटर्न दिया है।महिंद्रा मनुलाइफ एमएफ के एमडी व सीईओ आशुतोष विश्नोई ने कहा, हमने देखा है कि एसआईपी के जरिये आने वाले काफी निवेशकों ने अनुशासित तरीके को तरजीह दी है। अब उनकी निवेशित अवधि पांच साल से ज्यादा हो गई है, जो मोटे तौर पर कुछ साल पहले दो साल हुआ करती थी। जुलाई में एसआईपी का नया पंजीकरण करीब 23.8 लाख रहा, जो एमएफ उद्योग के इतिहास में सबसे ज्यादा है। जुलाई में एसआईपी के जरिए निवेश भी जून के मुकाबले बढ़ा। जुलाई में एसआईपी के जरिये 9,609 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो जून में 9,155 करोड़ रुपये रहा था। साथ ही एयूएम भी बढ़कर 5.03 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
