मतभेद भुलाकर साथ आए विपक्ष | आदिति फडणीस / August 21, 2021 | | | | |
कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के बीच राज्य स्तरीय राजनीति में विरोधाभासों की हकीकत को मानते हुए कांग्रेस अध्यक्ष और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा है कि विपक्ष की एकता आवश्यक है और यदि देश को बचाना है तो विपक्ष को त्याग करने होंगे।
विपक्ष के 18 दलों के नेताओं के साथ एक आभासी बैठक में सोनिया ने कहा, 'हम सबकी अपनी बाध्यताएं हैं लेकिन स्पष्ट रूप से ऐसा समय आ गया है जब देश हित की मांग है कि हम इन बाध्यताओं से ऊपर उठें। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ हम सभी के लिए सबसे उपयुक्त समय है कि हम व्यक्तिगत और सामूहिक संकल्प दोहराएं। मैं कहना चाहती हूं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अनुपस्थित नहीं रहेगी।' बैठक में आम आदमी पार्टी को आमंत्रित नहीं किया गया था जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। आज की बैठक में शामिल प्रमुख नेताओं में नैशनल कॉन्फ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, राकांपा के शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव और माकपा के सीताराम येचुरी शामिल थे। बैठक में शामिल होने वाले मुख्यमंत्री में ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), एम के स्टालिन(तमिलनाडु), उद्धव ठाकरे (महाराष्ट्र) और हेमंत सोरेन (झारखंड) शामिल थे।
सोनिया ने कहा कि अहम मुद्दों पर विपक्ष की एकता ने सरकार को पीछे हटने पर मजबूर किया है, फिर चाहे बात कोविड-19 प्रबंधन रणनीतियों की हो या राज्य सरकारों के अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण अधिसूचित करने के अधिकार की। उन्होंने कहा, 'हमने 12 मई 2021 को प्रधानमंत्री को टीकाकरण नीति, तीन किसान विरोधी कानूनों को समाप्त करने तथा जरूरतमंदों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण पर संयुक्त पत्र लिखा था। हमारे हस्तक्षेप के बाद टीका खरीद में कुछ अहम बदलाव किए गए। कहना न होगा कि किसी और ने भी इसका श्रेय लिया है। लेकिन जब तक देश के लोगों का भला हो रहा है, इससे फर्क नहीं पड़ता।'
सोनिया ने कहा कि सार्वजनिक महत्त्व के मसलों पर बहस और चर्चा को लेकर सरकार दंभ भरी अनिच्छा दिखा रही है जिसके चलते संसद का मॉनसून सत्र विफल रहा। उन्होंने कहा कि जिन विषयों पर चर्चा जरूरी थी उनमें पेगासस जासूसी कांड, किसान विरोधी कानूनों का खात्मा, नौ महीने से चल रहा किसान आंदोलन, जरूरी वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी और संघवाद तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं पर निरंतर हमले शामिल हैं।
सोनिया ने कहा कि 'वास्तविक लक्ष्य' 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों को व्यवस्थित योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए और इस दौरान उनके दिमाग में केवल यही लक्ष्य होना चाहिए कि देश में ऐसी सरकार बनानी है जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों तथा हमारे संविधान के सिद्धांतों और प्रावधानों पर यकीन करे। उन्होंने स्वीकार किया कि साथ आने की चुनौती आसान नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश बहुत बड़ा है।
ममता बनर्जी ने सभी नेताओं से कहा कि वे सरकार से मिलकर सामूहिक लड़ाई लड़ें। उन्होंने कहा कि हमें आपसी मतभेद भुलाकर सरकार से सीधे टकराना होगा। गौरतलब है कि चंद रोज पहले ही असम की प्रमुख कांग्रेस नेत्री सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश की आंतरिक और बाहरी स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को संसद की विफलता, लोकतंत्र की आवाज को चुप कराने और संस्थानिक नियंत्रण के खिलाफ आवाज उठानी होगी। उनका कहना था कि आम लोगों पर केंद्रित और राज्य से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सोरेन ने कहा, 'सामूहिक तौर पर विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों सहित सभी विपक्षी दलों को तुरंत इन मुद्दों को उठाना चाहिए खासतौर पर जिनका सामना गैर-भाजपा शासित राज्य कर रहे हैं। हमें सभी जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ मिलकर संघर्ष करना होगा। हमें आमदनी में बढ़ोतरी, महंगाई, बेरोजगारी, कोविड प्रबंधन और किसानों से जुड़े मुद्दे उठाने होंगे।'
कई विपक्षी दलों ने हाल में समाप्त हुए संसद के मॉनसून सत्र के दौरान कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों के अलावा पेगासस जासूसी मामले पर संसद में चर्चा कराने की मांग को लेकर एकजुटता दिखाई थी। शुक्रवार की बैठक इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि सरकार ने राज्य सभा में बीमा संशोधन विधेयक के पारित होने के दौरान अशोभनीय बर्ताव में शामिल होने वाले सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
विपक्षी दलों ने बैठक के बाद एक संयुक्त बयान दिया जिसके मुताबिक भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ 20 से 30 सितंबर तक देश भर में संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। विपक्षी दलों ने सरकार के समक्ष 11 सूत्री मांगें रखीं और संसद के मॉनसून सत्र के व्यर्थ जाने के लिए केंद्र की निंदा भी की।
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