इंडियन स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्वस लिमिटेड (आईएसपीआरएल) में पहले से भंडारित कच्चे तेल के कुछ हिस्सों की बिक्री कर भंडारण स्थान को खाली किया जा रहा है। ऐसा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) और मंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) के लिए स्थान बनाने के लिए किया जा रहा है जो आईएसपीआरएल के तेल के रिजर्व भंडार को वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए पट्ïटे पर लेंगी। इस मामले के जानकार अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि एमआरपीएल को आईएसपीआरएल की गुभाओं से बुधवार को 60,000 टन ऊपरी जैकम कच्चा तेल प्राप्त हुआ है। यह तेल अबु धाबी से मंगाया जाता है। आईएसपीआरएल अपने मंगलोर की गुफाओं में भंडारित ऊपरी जैकम तेल का 55 लाख बैरल एमआरपीएल को बेचेगी। इस स्थान को फरवरी तक खाली कर दिया जाएगा ताकि एमआरपीएल वहां पर 3,00,000 टन विभिन्न श्रेणी के कच्चे तेल का भंडारण कर सके। एचपीसीएल विशाखापत्तनम भंडार में इतने ही स्थान को पट्ïटे पर ले सकती है। केंद्र ने हाल ही में आईएसपीआरएल को भंडारित कच्चे तेल के एक तिहाई तक के हिस्से का वाणिज्यीकरण करने की अनुमति दी थी। कुल मिलाकर इसका लक्ष्य कच्चा तेल में 80 लाख बैरल की कमी लाना है। उसके बाद खाली किए गए स्थान को एचपीसीएल और एमआरपीएल को पट्ïटे पर दी जाएगी। 2020 के अप्रैल और मई में जब वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई थी तब रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों को भरने के प्रयासों को दोगुना कर दिया गया था। पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक इससे राजकोष में 5,000 करोड़ रुपये की बचत हुई। एक अनुमान के मुताबिक भंडारों को भरने के लिए 19 डॉलर प्रति बैरल की दर से तेल खरीद की गई थी जो कि मौजूदा तेल कीमत की करीब एक तिहाई है।विशाखपत्तनम, मंगलूरु और पादुर में कुल मिलाकर 53.3 लाख टन कच्चा तेल भंडारित है। विशाखापत्तनम के भंडार की क्षमता 13.3 लाख टन (97.7 लाख बैरल) कच्चा तेल भंडारण की है। वहीं मंगलूरु की क्षमता 15 लाख टन (1.1 करोड़ बैरल) और पदुर की क्षमता 25 लाख टन (1.837 करोड़ बैरल) कच्चा तेल भंडारण की है। इन तीनों परियोजनाओं की कुल लागत अनुमानित तौर पर 4,098.35 करोड़ रुपये हैं। इन भंडारों से करीब 9 से 10 दिनों तक भारत के कच्चे तेल की मांग को पूरा किया जा सकता है। मोटे तौर पर भारत हर वर्ष 22.6 करोड़ टन (165.658 करोड़ बैरल) कच्चे तेल का आयात करता है। इससे भारत के कच्चे तेल की कुल जरूरत के करीब 84 फीसदी की भरपाई होती है। इस भंडार की चर्चा तब भी हुई थी जब मार्च में कच्चे तेल की वैश्विक कीमत बढऩे पर सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद ने भारत को सस्ती दर पर खरीदे गए इस कच्चे तेल के उपयोग की सलाह दी थी। उन्होंने यह प्रतिक्रिया भारत की ओर से तेल उत्पादन बढ़ाने और कीमत को नियंत्रण में रखने के अनुरोध पर दी थी। लेकिन कीमतें मजबूत बनी रहीं। वैश्विक कच्चा तेल व्यापार के लिए सबसे चर्चित बेंचमार्क ब्रेंट की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल है जो 2021 के आरंभ में करीब 50 डॉलर प्रति बैरल थी।
