स्पाइसजेट ने कार्गो कारोबार में हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया शुरू की | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली August 20, 2021 | | | | |
भारत की दूसरी सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन स्पाइसजेट ने लॉजिस्टिक व्यवसाय अलग कर इसे अपनी सहायक इकाई स्पाइसएक्सप्रेस को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंगलवार को कंपनी ने इस प्रक्रिया को पूरा करने और पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये 2,500 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाने के लिए अपने शेयरधारकों की मंजूरी मांगी।
कंपनी इस संबंध में विभिन्न निजी इक्विटी निवेशकों के साथ बातचीत कर रही है, क्योंकि वह कोष जुटाने के लिए लॉजिस्टिक इकाई में शेयर बेचना चाहती है। हालांकि एयरलाइन के अधिकारियों ने शुरू में यह संकेत दिया था कि इस व्यवसाय की वैल्यू 1 अरब डॉलर पर है, लेकिन मंगलवार को कंपनी ने स्वतंत्र मूल्यांकन के आधार पर यह मूल्यांकन 2,555.77 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया।
स्पाइसजेट की योजना से अवगत लोगों ने संकेत दिया है कि निवेशकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे कारगो व्यवसाय में दिलचस्पी लेना चाहते हैं। इस घटनाक्रम से अवगत एक व्यक्ति ने बताया, 'संभावित निवेशक कारगो और यात्री व्यवसायों को पूरी तरह अलग रखे जाने के पक्ष में हैं।' एयरलाइन ने कारगो इकाई के लिए नए एयर ऑपरेटर परमिट के लिए नागरिक उड्डïयन मंत्रालय से भी संपर्क किया है आर यात्री व्यवसाय से अलग प्रबंधन भी तैयार करने पर भी जोर दिया है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि एयरलाइन को इसके लिए ऋणदाताओं समेत कई तरह की मंजूरियां लेनी होंगी। एयरलाइन ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि स्पाइसएक्सप्रेस 1 अक्टूबर के आसपास व्यवसाय स्थानांतरण के आधार पर अलग इकाई के तौर पर परिचालन करने लगेगी। कोविड-19 महामारी की वजह से यात्री व्यवसाय गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है और इसे देखते हुए लॉजिस्टक व्यवसाय ही इस एयरलाइन के लिए जीवनरेखा साबित हुआ।
स्पाइसएक्सप्रेस ने 30 करोड़ रुपये तक का शुद्घ लाभ कमाया और इस सेगमेंट के लिए राजस्व वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 285 प्रतिशत तक बढ़कर 473 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो पूर्ववर्ती वर्ष में 166 करोड़ रुपये था। जहां एक साल पहले उसके पास महज 5 विमान थे, वहीं मौजूदा समय में 20 विमान मौजूद हैं जिनमें चार पट्टïे पर हैं औ यात्री विमानों को भी मालवाहक में तब्दील किया गया है।
इन वार्ताओं से जुड़े एक बैंकर ने कहा, 'लॉजिस्टिक व्यवसाय में हिस्सेदारी बिक्री से एयरलाइन को अच्छी रकम मिल सकती है, क्योंकि यह व्यवसाय मजबूत बना हुआ है। वे इस अनुमान के आधार पर अच्छी तेजी की उम्मीद कर रहे हैं कि यदि 5 प्रतिशत बाजार भागीदारी से कंपनी प्रति तिमाही 1,000 रुपये कमा सकती है तो अगले एक साल में यह दोगुनी हो सकती है।'
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