जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने कैलरॉक-जालान कंसोर्टियम की समाधान योजना को ठुकरा दिया है और योजना को एनसीएलएटी में चुनौती दी है। बुधवार को भारतीय कामगार सेना और जेट एयरवेज कैबिन क्रू एसोसिएशन ने 22 जून को समाधान योजना को मंजूरी वाले एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपील की है। यूनियन ने कहा कि समाधान योजना कामगारों के हितों के संरक्षण में नाकाम रहा है और यह श्रम कानूनों का उल्लंघन है।
जेट एयरवेज ने हालांकि करीब 15,000 करोड़ रुपये का दावा स्वीकार किया था लेकिन कंसोर्टियम ने वित्तीय व गैर-वित्तीय लेनदारों के 475 करोड़ रुपये के दावे के निपटान की पेशकश की। कर्मचारियों के 1,265 करोड़ रुपये के दावे को स्वीकार नहीं किया गया और कंसोर्टियम ने उनके दावे के निपटान के लिए 52 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया।
इसके अतिरिक्त कर्मचारियों व कामगारों को कंसोर्टियम ने नकदी व गैर-नकदी लाभ की पेशकश की, जिसमें कंपनी की 0.5 फीसदी हिस्सेदारी शामिल है। यह लाभ उन कर्मियों को देने की बात है जो जून 2019 में दिवालिया होने के समय कंपनी के साथ थे। ये फायदे तभी मिलेंगे जब कंपनी के 95 फीसदी कर्मचारी इस पर सहमत होंगे। हालांकि 8,973 पात्र कर्मचारियों में से सिर्फ 35.1 फीसदी ने पेशकश के पक्ष में मतदान किया, वहीं 61.6 फीसदी मतदान से अनुपस्थित रहे। इसके परिणामस्वरूप यह प्रस्ताव समाप्त हो गया। कंसोर्टियम ने आज कर्मचारियोंं को यह सूचित किया।
अपनी याचिका में भारतीय कामगार सेना और कैबिन क्रू यूनियन ने कहा है कि दिवालिया संहिता का मूल सिद्धांत सभी हितधारकों को संरक्षित करने का है, लकिन समाधान योजना में कामगारों के हितों का संरक्षण नहीं किया गया है। भारतीय कामगार सेना का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील राहुल ओक ने कहा, हम जेट एयरवेज के कामयाबी के साथ पटरी पर आने के खिलाफ नहीं हैं।