मध्य आय वर्ग के परिवारों की धारणा में सुधार की दरकार | महेश व्यास / August 20, 2021 | | | | |
उपभोक्ताओं का मिजाज दर्शाने वाले इंडेक्स ऑफ कंज्यूमर सेंटीमेंट्स (आईसीएस) में जून की तुलना में जुलाई में 10.7 प्रतिशत सुधार हुआ। हालांकि सुधार के बावजूद यह उपभोक्ता धारणा सूचकांक 53.01 (सितंबर-दिसंबर 2015 में आधार 100) के स्तर पर कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से पूर्व की अवधि का महज आधा ही रहा। फरवरी 2020 में यह सूचकांक 105.30 स्तर पर था।
जुलाई 2021 में यह सूचकांक दिसंबर 2020 से अप्रैल 2021 के दौरान पांच महीनों के स्तर से भी कम रहा। इन महीनों के दौरान सूचकांक औसतन 54.7 प्रतिशत रहा था। कोविड महामारी की दूसरी लहर से सूचकांक मई और जून 2021 में करीब 48 रह गया। जुलाई में इसमें सुधार जरूर हुआ लेकिन अधूरा ही रहा। इसमें कोई शक नहीं कि जुलाई में सूचकांक का प्रदर्शन उत्साह बढ़ाने वाला रहा लेकिन महामारी से पूर्व की सामान्य स्थिति में लौटने के लिए इसे अभी लंबा सफर तय करना है।
अगस्त के शुरुआती दो हफ्ते अच्छे नहीं रहे हैं। 8 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में उपभोक्ता धारणा सूचकांक 1.6 प्रतिशत लुढ़क गया और 15 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में यह 2 प्रतिशत और नीचे आ गया। इसके बावजूद हम जुलाई में उपभोक्ताओं के मिजाज को समझने की कोशिश करते हैं। जुलाई में इस सूचकांक में सुधार व्यापक रहा था लेकिन परिवारों की आय के वितरण पर इसका असर अधिक प्रभावी दिखा। तुलनात्मक रूप से मजबूत आय वाले और धनी परिवारों के लिए उपभोक्ता धारणा सूचकांक में सुधार हुआ। हालांकि जुलाई में इस सूचकांक में हुए सुधार में मध्य मध्य-आय वर्ग के लोगों की झलक नहीं दिखी लेकिन निम्र मध्य आय वर्ग और उच्च मध्य आय वर्ग के परिवारों के लिए यह अच्छा रहा।
सालाना 1 लाख रुपये से कम आय वाले परिवारों की धारणा में 46 प्रतिशत सुधार हुआ। जुलाई में इस खंड में सर्वाधिक सुधार देखा गया। जब देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आई थी तो उस समय यह तबका सर्वाधिक प्रभावित हुआ था। मई में उनका उपभोक्ता धारणा सूचकांक 25 प्रतिशत लुढ़क गया और जून में इसमें 7.5 प्रतिशत की और कमी आई। जुलाई में सुधार इस कमी की भरपाई करने वाला रहा है। जुलाई में इस समूह के लिए यह सूचकांक 56.4 था जो अप्रैल 2021 के स्तर 55.3 से थोड़ा अधिक रहा। मार्च 2020 से यह सर्वाधिक मजबूत आंकड़ा रहा है। इस समूह में करीब 5.4 करोड़ परिवार हैं। यह संख्या पहले के 3 करोड़ से बढ़ी है क्योंकि कोविड और लॉकडाउन की वजह से कई परिवार की आय घटकर इस दायरे में आ गई।
पहले इस समूह की हिस्सेदारी देश के कुल परिवारों में 10 प्रतिशत से भी कम थी लेकिन अब वह बढ़कर करीब 17 प्रतिशत हो गई है। उपभोक्ता धारणा सूचकांक सबसे अधिक उस आय वर्ग में सुधरा है जिसकी क्रय शक्ति सबसे कम थी। इसके बाद सर्वाधिक सुधार सबसे अधिक क्रय शक्ति वाले समूह या आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों में हुआ है। सालाना 10 लाख रुपये से अधिक आय अर्जित करने परिवारों के मिजाज में जुलाई में सुधार दिखा। इस महीने उनका उपभोक्ता धारणा सूचकांक 16.6 प्रतिशत बढ़कर 63.3 हो गया। यह गरीब परिवारों के मिजाज में लगभग 46 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता है। हालांकि तब भी यह सम्मानजनक वृद्धि दर है।
इसके अलावा आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों की धारणा कोविड-19 के बाद आई गिरावट से किसी भी दूसरे समूह की तुलना में सर्वाधिक तेजी से सुधरी है। इस समूह के लिए जुलाई में उपभोक्ता धारणा सूचकांक फरवरी 2020 के स्तर का 60 प्रतिशत था। दूसरे समूहों के लिए यह आंकड़ा फरवरी 2020 के स्तर का करीब 50 प्रतिशत रहा। इस धनी समूह में करीब 30 लाख परिवार आते हैं। महामारी के पहले यह यह संख्या करीब 40 लाख हुआ करती थी। संपन्न परिवारों के लिए हरेक महीने उपभोक्ता धारणा सूचकांक में बदलाव अनिश्चितता भरे रहे हैं। जनवरी 2021 के बाद इन परिवारों के इस सूचकांक में 25 प्रतिशत बढ़त से लेकर 15 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज हुई। इस समूह के लिए यह सूचकांक तब भी जनवरी के स्तर से 5 प्रतिशत अधिक है और फरवरी 2021 के स्तर से करीब 7 प्रतिशत कम है।
निम्र मध्य वर्ग परिवारों-1 लाख से 2 लाख रुपये सालाना आय वाला समूह- को जून 2021 तिमाही में खासा नुकसान हुआ है। उनका उपभोक्ता धारणा सूचकांक जून 2021 में कम होकर 44.5 रह गया जो मार्च 2021 में 53.6 रहा था। जुलाई में यह सूचकांक जून 2021 के स्तर से 12.1 प्रतिशत की छलांग लगाकर 49.9 पर पहुंच गया। यद्यपि यह किसी महीने दर्ज सम्मानजनक तेजी है मगर महामारी से इस समूह की धारणा में सुधार उत्साहजनक नहीं रहा है।
उच्च मध्य वर्ग समूह- 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये सालाना अर्जित करने वाले परिवारों की संख्या मात्र 2 करोड़ है। इस समूह की धारणा में 7.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ। मध्य मध्य-आय वर्ग समूह सबसे बड़ा है। ये ऐसे परिवार हैं जो सालाना 2 लाख से 5 लाख रुपये अर्जित करते हैं। इस समूह में 16 करोड़ से अधिक परिवार आते हैं। जुलाई में इनकी धारणा में सबसे कम इजाफा हुआ और जून के मुकाबले यह महज 1 प्रतिशत रहा। महामारी से पूर्व के स्तर से गिरावट के बाद इस समूह के परिवारों में सुधार भी सबसे कम दिखा है। जुलाई में अवधारणा में सुधार उत्साहजनक रहा है मगर अहम आय समूहों में इसमें अधिक सुधार की आवश्यकता है। धनी परिवारों की धारणा में सुधार में उतार-चढ़ाव कम दिखना चाहिए और मध्य-आय वाले परिवारों के उपभोक्ता धारणा सूचकांक में अधिक सुधार दिखे तो बेहतर होगा।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं।)
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