विभिन्न विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य सामग्रियों सहित विभिन्न चीजों के दाम अक्टूबर से दोबारा बढ़ सकते हैं। उन्होंने यह अनुमान आर्थिक गतिविधि के जोर पकडऩे के संदर्भ में दिया है। ऐसे में राहत की बात है कि तीन प्रमुख सब्जियों टमाटर, प्याज और आलू के दाम में अगले कुछ महीनों में कोई बड़ा उछाल नजर नहीं आएगा। व्यापारियों और बाजार पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि इन तीनों सब्जियों के दाम में घटबढ़ एक निश्चित दायरे में होगी और विभिन्न कारणों से इनके दाम में कोई अप्रत्याशित वृद्घि नहीं होगी। निजी व्यापारियों के पास और सरकारी गोदामों में प्याज और आलू का पर्याप्त भंडारण है और अगले कुछ माह में नई पैदावार आने वाली है। प्याज उक्त तीनों जिंसों में प्याज सबसे अधिक उतार चढ़ाव वाला जिंस है और इसके दाम में किसी प्रकार की तेजी या तेज गिरावट होने पर हर जगह से बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया मिलने लगती है। प्याज लाखों लोगों के भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है और इसके दाम में उतार चढ़ाव आने पर देश में करोड़ों लोगों के घरेलू बजट पर इसका सीधा असर पड़ता है। उपभोक्ता ममले के मंत्रालय से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के खुदरा बाजारों में प्याज का भाव करीब 32 से 33 रुपये प्रति किलोग्राम है। इस कारोबार से जुड़े लोगों और बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि लासलगांव मंडी में प्याज का दाम अक्टूबर महीने तक करीब 16 से 24 रुपये प्रति किलोग्राम पर बना रहेगा जबकि खुदरा बाजारों में इसकी कीमत अगले कुछ हफ्तों तक 20 रुपये से 40 रुपये प्रति किलोग्राम रहेगी। बागवानी उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2020-21 (जुलाई से जून) में प्याज का उत्पादन 2.692 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष के उत्पादन से 3.18 फीसदी अधिक है। व्यापारियों ने कहा कि इस साल कीमतें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले कम हैं। ऐसा इसलिए है कि 2021 के उलट इस बार किसानों और व्यापारियों ने जल्दबाजी में अपने रबी फसल की बिक्री नहीं की है। दिल्ली के आजादपुर मंडी के व्यापारी सुरिंदर बुद्घिराजा ने कहा कि करीब 70 फीसदी प्याज का भंडार निजी व्यापारियों के पास है। अनुमानित तौर पर यह भंडार 14 से 15 लाख टन है। सरकारी संस्था नेफेड ने भी करीब 2 लाख टन प्याज का भंडारण किया है। बुद्घिराजा ने कहा, 'इसके अलावा बाजार में प्याज की खरीफ फसल आने में अब दो महीने से थोड़ा ही अधिक समय बचा है। इसके बाद कीमतों में और कमी आएगी।' आलू प्याज की तरह ही आलू के भाव भी आगामी महीनों में स्थायी बने रहने की उम्मीद है। इसकी वजह है गोदामों में आलू का अतिरिक्त भंडार पड़ा है। एक अन्य व्यापारी ने कहा, 'अब तक आलू के पैदावार की महज 20 से 25 फीसदी की ही बिक्री हो पाई है बाकी गोदामों में भरा हुआ है।' करीब 15 अक्टूबर से पंजाब से आलू की नई फसल आने लगेगी। तब तक मौजूदा भंडारों से मांग की पूर्ति होगी।व्यापार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कई बाजारों में पहले ही कर्नाटक के हासन जिले से ताजा फसल आने की शुरुआत हो चुकी है लेकिन लगातार हो रही बारिश और बाढ़ के कारण गोदामों में सुरक्षित रखे गए आलू निकालने में मुश्किल हुई है। देश में 2020-21 में आलू की पैदावार 5.369 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया है जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 10.56 फीसदी अधिक है। व्यापारी ने कहा, 'आगामी कुछ हफ्तों में देश के अधिकांश हिस्सों में आलू की खुदरा कीमत 20 रुपये से 40 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहने की उम्मीद है।' टमाटर टमाटर ऐसी तीसरी फसल है जिसके दाम पर करीब से नजर रहती है और इसके भाव में उतार चढ़ाव का घरेलू बजट पर सीधा असर होता है।पिछले कुछ हफ्तों में अगस्त के आरंभ तक देश के विभिन्न बाजारों में टमाटर के भाव बढ़े हैं। ऐसा टमाटर की उपलब्धता में गिरावट आने के कारण हुआ है। इन महीनों में अमूमन देश में टमाटर उत्पादन कम हो जाता है। दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2020-21 में देश में टमाटर का उत्पादन 2.1 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष से 2.18 फीसदी अधिक है।
