सॉफ्टबैंक के चीनी कंपनियों में किए गए भारी निवेशों से अब शायद उसे उतना रिटर्न नहीं मिल पा रहा है लेकिन भारतीय कंपनियों में किए गए निवेश उसके लिए काफी फायदेमंद साबित होने जा रहे हैं। दरअसल सॉफ्टबैंक के निवेश वाले सात भारतीय स्टार्टअप अगले 1-2 साल में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारी में हैं। अनुमानों के मुताबिक, सॉफ्टबैंक ने इन सात स्टार्टअप में कुल मिलाकर 4.7 अरब डॉलर से भी ज्यादा निवेश किया है। आईपीओ प्रक्रिया से जुड़े मर्चेंट बैंकरों की मानें तो इन सातों स्टार्टअप का कुल मूल्यांकन 48.5 अरब डॉलर से लेकर 56.5 अरब डॉलर तक रहने का अनुमान है। सॉफ्टबैंक से निवेश हासिल करने वाले इन भारतीय स्टार्टअप में पेटीएम, इनमोबि, ओयो, डेल्हीवरी, ओला, स्विगी और पॉलिसी बाजार शामिल हैं। इस सूची में फ्लिपकार्ट का नाम शामिल नहीं है जो बाजार में उतरने की तैयारी में है। सॉफ्टबैंक 60 करोड़ डॉलर के निवेश के साथ एक बार फिर से इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का एक निवेशक बन गया है। फ्लिपकार्ट ने 3.6 अरब डॉलर का फंड जुटाया था जिसके बाद उसका मूल्यांकन करीब 38 अरब डॉलर हो चुका है। तमाम फंडों के जरिये सॉफ्टबैंक का भारत में किया गया कुल निवेश 17 अरब डॉलर है जिसमें से 11 अरब डॉलर तो पिछले चार साल में ही आए हैं। पहली बार 2013 में सॉफ्टबैंक ने 25 करोड़ डॉलर का निवेश एडटेक फर्म इनमोबि किया था। इस निवेश के बाद ही इनमोबि भारत की पहली यूनिकॉर्न कंपनी के तौर पर उभर पाई। इनमोबि के सामने कई तरह की चुनौतियां आने के बाद सॉफ्टबैंक को कुछ साल पहले इसके मूल्यांकन में कटौती के लिए मजबूर होना पड़ा था। लेकिन यह फर्म अब फिर से मुस्तैद हो चुकी है और अमेरिका में सूचीबद्ध होने जा रही है। इसका मूल्यांकन करीब 5-6 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। आईपीओ से पहले के प्लेसमेंट की भी संभावना जताई जा रही है। अपनी नवीनतम वित्तीय रिपोर्ट में सॉफ्टबैंक ने कहा है कि इनमोबि के शेयरों की बिक्री से उसे निवेश पर करीब 3,900 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। सॉफ्टबैंक ने पेटीएम में करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है। इस साल आने वाले आईपीओ के जरिये पेटीएम को 16,600 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है। पिछले फंड उगाही दौर के समय पेटीएम का मूल्यांकन करीब 15.3 अरब डॉलर था लेकिन मर्चेंट बैंकरों के मुताबिक आईपीओ लाने पर यह 15-20 अरब डॉलर के बीच पहुंच सकता है। ऐसी चर्चा है कि सॉफ्टबैंक अपने हिस्से के कुछ फीसदी शेयरों की बिक्री कर सकता है। सॉफ्टबैंक के मुख्य कार्याधिकारी मासायोशी सोन की नजर में किफायती होटल शृंखला ओयो की काफी अहमियत थी। उन्होंने 1.2 अरब डॉलर का निवेश कर ओयो में 46 फीसदी हिस्सेदारी ली हुई है और आक्रामक वृद्धि से जुड़ी गंभीर चुनौतियों का भी सामना किया है। खासकर महामारी से जुड़ी चुनौतियों ने ओयो के मुनाफा एवं मूल्यांकन दोनों पर असर डाला है। सूत्रों के मुताबिक सॉफ्टबैंक ने ओयो का मूल्यांकन 9 अरब डॉलर से घटाकर 4-5 अरब डॉलर कर दिया है।हालांकि ओयो ने बदले हुए हालात से निपटने के लिए अपने कारोबारी मॉडल में कई बदलाव किए हैं। उसने अपने प्रबंधन वाले होटलों में पूंजी व्यय करने से खुद को अलग कर लिया है। ओयो आगे और फंड जुटाने की योजना बना रही है जिसके बाद उसका मूल्यांकन पुराने स्तर पर पहुंच जाएगा। ओयो भी अगले साल 1.2-1.5 अरब डॉलर का अपना आईपीओ लाने की सोच रही है। फूड डिलिवरी कंपनी स्विगी में सॉफ्टबैंक का निवेश थोड़ी देर से हुआ। उसने पिछले साल ही इस कंपनी में 45 करोड़ डॉलर लगाए थे। स्विगी ने पिछले साल 1.25 अरब डॉलर का फंड जुटाया था जिसके बाद उसका मूल्यांकन 5.5 अरब डॉलर हो गया। सॉफ्टबैंक के मुखिया सोन को उम्मीद है कि स्विगी के सूचीबद्ध होने पर उन्हें बढिय़ा रिटर्न मिलेगा। अब तक आईपीओ की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन मर्चेंट बैंकरों को लगता है कि स्विगी 24 महीनों की योजना बनाकर चल रही है। सॉफ्टबैंक के लिए कैब एग्रीगेटर ओला में किया गया निवेश भी फायदेमंद हो सकता है। मार्च 2021 में वानगॉर्ड समूह ने उसके मूल्यांकन को घटाकर करीब 3 अरब डॉलर कर दिया था जिसके लिए लॉकडाउन के असर को जिम्मेदार माना गया। लेकिन एक महीना पहले ही ओला ने टेमासेक एवं प्लमवुड इन्वेंस्टमेंट्स से 50 करोड़ डॉलर का फंड जुटाया जिससे उसे आईपीओ लाने के पहले मूल्यांकन सुधारने में मदद मिलेगी। डेल्हीवरी में भी सॉफ्टबैंक ने 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया हुआ है। इस साल की अंतिम तिमाही में बाजार नियामक के पास अर्जी लगाने की संभावना है और अगले साल की शुरुआत में वह आईपीओ ला सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि सॉफ्टबैंक का चीन में नया निवेश करने से परहेज करना भारतीय स्टार्टअप के लिए अच्छी खबर हो सकती है। इसकी वजह यह है कि भारतीय स्टार्टअप में मूल्यांकन वृद्धि काफी तेज होती है और अब उनका आकार भी बड़ा हो चुका है।
