पेट्रोल इंजन से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन की ओर रुख करने से परंपरागत दोपहिया कंपनियों की बिक्री पर जबरदस्त प्रभाव पडऩे की आशंका है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे उनका मूल्यांकन प्रभावित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कार बनाने वाली कंपनियों के मुकाबले दोपहिया वाहन विनिर्माताओं के लिए निकट भविष्य में यह खतरा कहीं अधिक दिख रहा है।
विश्लेषकों द्वारा यह चेतावनी ऐसे समय में दी गई है जब ओला इलेक्ट्रिक ने अपने एस1 मॉडल के साथ देश के सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी दोपहिया बाजार में औपचारिक तौर पर प्रवेश करने की घोषणा की है। इन कंपनियों के शेयरों में हालिया गिरावट से पता चलता है कि बाजार इस बदलाव को लेकर आशंकित है। विश्लेषकों ने कहा कि ओला एस1 की बुकिंग यदि जबरदस्त बिक्री में परिवर्तित होती है तो इन कंपनियों के शेयरों में आगे और गिरावट दिख सकती है।
दोपहिया वाहनों के विद्युतीकरण को नीतिगत तौर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। इलेक्ट्रिक स्कूटरों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक कंपनियों के साथ-साथ पारंपरिक विनिर्माताओं द्वारा उतारे जाने की तैयारी चल रही है। भाविश अग्रवाल द्वारा स्थापित कंपनी 99,999 रुपये की शुरुआती कीमत (राज्य सरकार के प्रोत्साहन, पंजीकरण शुल्क एवं बीमा लागत को छोड़कर) के साथ अपने प्रतिस्पर्धियों को तगड़ी प्रतिस्पर्धा दे सकती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में इसकी शुरुआती कीमत 85,000 रुपये है जो टीवीएस आईक्यूब (1.01 लाख रुपये), बजाज चेतक (1.42 लाख रुपये) और एथर 450 (1.13 लाख रुपये से शुरू) के मुकाबले सस्ता है।
कुछ ब्रोकरेज ने पहले ही दोपहिया विनिर्माताओं और उनके आपूर्तिकर्ताओं के शेयरों को डाउनग्रेड करना शुरू कर दिया है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (इक्विटी रिसर्च) आदित्य मेखरिया के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों के मुख्य धारा में आने के साथ ही दोपहिया वाहनों के लिए टिर्मिनल विकास धारणाएं जोखिम में हैं क्योंकि निकट भविष्य (अगले 3 से 5 वर्षों के दौरान) के लिए कहीं अधिक खतरा है।